Lok Sabha Election 2024: पूर्वांचल में BJP की जीत के लिए ओम प्रकाश राजभर क्यों हैं जरूरी? जानिए सियासी समीकरण
SBSP chief Om Prakash Rajbhar: जानकारों का कहना है कि अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के बाद सुभासपा को एनडीए का साथ मिलने से बीजेपी की स्थिति पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में अब मजबूत हो जाएगी.
Lok Sabha Election 2024: अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में यूपी से बीजेपी ने 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. लक्ष्य को पाने के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. प्रभावी दलों और लोगों को जोड़ने की रणनीति के तहत ओमप्रकाश राजभर को साथ लाने में बीजेपी को सफलता मिली है. सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर का पूर्वांचल की कुछ सीटों पर असर रहता है. जानकर बताते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने सपा के साथ मिलकर नए सहयोगी बीजेपी को काफी डैमेज किया था.
सुभासपा को हाथों-हाथ लेने की बीजेपी की क्या है मजबूरी?
पूर्वांचल के कुछ जिलों में बीजेपी खाता भी नहीं खोल सकी थी. गाजीपुर, आजमगढ़ और अम्बेडकरनगर जिलों से बीजेपी का सफाया हो गया था. इसी वजह से बीजेपी 2024 के चुनाव में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. जानकारों का कहना है कि अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के बाद सुभासपा को एनडीए का साथ मिलने से बीजेपी की स्थिति पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में अब मजबूत हो जाएगी.
2019 के चुनाव में पूर्वांचल और अवध की हारी सीटों पर सहयोगी बीजेपी को मजबूती देंगे. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सुभासपा को हाथों-हाथ लेने की एक बड़ी वजह ओपी राजभर का बिरादरी के वोटों पर पकड़ है. बीजेपी की तरफ से चेहरा तैयार करने की कवायद के बावजूद ओम प्रकाश राजभर का विकल्प नहीं मिला.
पूर्वांचल के समीकरण से समझें सियासी नफा और नुकसान
सत्ता और विपक्ष दोनों की भूमिका में ओपी राजभर ने बिरादरी पर पैठ बनाने का प्रयास लगातार जारी रखा. इस वजह से सुभासपा प्रमुख की पूछ बनी हुई है. पूर्वांचल के आंकडों पर गौर करें तो लगभग आधा दर्जन जिलों में बीजेपी की स्थिति काफी कमजोर हुई है. खासतौर से राजभरों का वोट नहीं मिलने के कारण गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, बलिया, आजमगढ़ समेत दर्जनभर जिलों में बीजेपी को करीब 25 से 30 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था.
अगर 2019 के चुनावी नतीजों को देखें तो बीजेपी को अंबेडकरनगर में करीब 468238 वोट मिले थे. बसपा 564118 मत पाकर विजयी हुई. ऐसे ही गाजीपुर में बीजेपी को 446690 और बसपा को 566082 मत मिले थे. आजमगढ़ में 621578 मत सपा ने प्राप्त किया था और बीजेपी के खाते में 361704 वोट गए.
बाद के उपचुनाव में बीजेपी की सीट पर आजमगढ़ से निरहुआ को जीत मिली थी. इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने आगे कदम बढ़ाना शुरू किया है. राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा कहते हैं कि अगर चुनावी नतीजों को ध्यान से देखें तो 2017 में ओमप्रकाश राजभर और सुभासपा अकेले दम पर भले कुछ न कर सके हों, पर गठबंधन के बाद उनकी पार्टी ने दूसरे दलों का खेल बिगाड़ा है.
चुनावी आंकड़ों की मानें तो राजभरों की आबादी करीब 2.40 फीसद है. हालांकि, पूर्वांचल की अंबेडकरनगर, आजमगढ, मऊ, देवरिया, श्रावस्ती, बहराइच, संतकबीर नगर, बस्ती, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली आदि जिले की एक दर्जन सीटों पर राजभर समुदाय का प्रभाव है. राजभर का वोट छिटकने की डर से बीजेपी ने गठबंधन का दांव चला है.