Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से यूपी की सियासत में हलचल तेज हो गई है. सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल इन दिनों बीजेपी के संपर्क में हैं. अगर ऐसा हुआ तो इससे समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गठबंधन के मामले में सपा अध्यक्ष का रिकॉर्ड पहले से ही काफी खराब रहा है. हर बार चुनाव से पहले अखिलेश यादव गठबंधन तो बना लेते हैं, लेकिन उनके साथी ज्यादा दिन तक उनके साथ टिक नहीं पाते हैं, अगर इस बार जयंत चौधरी और पल्लवी पटेल भी उनकी साथ छोड़ देती है तो कहीं ऐसा न हो कि वो अकेले पड़ जाएं.


दरअसल सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर बहस और फिर वोटिंग हुई. लेकिन वोटिंग के दौरान जयंत चौधरी सदन में अनुपस्थित रहे और उन्होंने 'इंडिया' गठबंधन के पक्ष में वोटिंग नहीं की. हालांकि उनके करीबी ने दावा किया कि किसी जरूरी काम की वजह से वोटिंग के दौरान वो सदन से नदारद थे, लेकिन उनकी गैरहाजिरी ने कई तरह की चर्चाओं को बल दे दिया है. माना जा रहा है कि जयंत चौधरी इन दिनों बीजेपी के संपर्क में बने हुए हैं.


यूपी में सियासी हलचल तेज


सूत्रों के मुताबिक जयंत ने बीजेपी के सामने 5 सीटों की मांग रखी है हालांकि बीजेपी 3 सीटें देने को तैयार है. इसी बात को लेकर दोनों के बीच में पेंच फंसा हुआ है. अगर सबकुछ ठीक हो जाता है तो जयंत चौधरी भी एनडीए के कुनबे में शामिल हो सकते हैं. बीजेपी का भी मानना है कि अगर जयंत उनके साथ आ जाते हैं जाट वोटों के समीकरण के जरिए पार्टी पश्चिमी यूपी में क्लीन स्वीप कर सकती है. वहीं पल्लवी पटेल भी काफी समय से नाराज बताई जा रही हैं और चर्चा है कि वो भी इन दिनों बीजेपी के संपर्क में है. 


सबको साथ लाने की कोशिश नाकाम


एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव सबको साथ लाने की कवायद में जुटे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ वो खुद अपने साथियों को भी जोड़ कर नहीं रख पा रहे हैं. कुछ दिनों पहले सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भी एनडीए में शामिल हो गए. राजभर ने विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था और पूर्वांचल में पार्टी को इसका फायदा भी हुआ था, बावजूद इसके अखिलेश सुभासपा के साथ ज्यादा दिन गठबंधन कायम नहीं रख पाएं.


गठबंधन के मामले में अखिलेश का खराब रिकॉर्ड


गठबंधन के मामले में अखिलेश यादव का रिकॉर्ड भी काफी खराब रहा है. उन्होंने साल 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा और फिर ये गठबंधन टूट गया. साल 2018 में सपा ने निषाद पार्टी से गठबंधन किया, निषाद पार्टी अब एनडीए में हैं. साल 2019 में मायावती और अखिलेश एक साथ आए लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद मायावती भी गठबंधन से अलग हो गईं. 2022 में सुभासपा, रालोद, अपना दल कमेरावादी साथ आए. सुभासपा पहले ही गठबंधन से अलग हो चुकी है. 


अब अगर रालोद और पल्लवी पटेल अगर एनडीए में जाते हैं तो सपा के लिए मुश्किल हो जाएगी. सपा भले ही विपक्षी एकता में शामिल हो लेकिन यूपी में वो अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में यहां बीजेपी का मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा.


UP Politics: राज्यसभा में जयंत चौधरी के इस कदम ने बढ़ाई सपा की मुश्किलें, अखिलेश यादव को लगेगा बड़ा झटका