Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के अंदर ही घमासान मचा हुआ है. जिस पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के दम पर सपा एनडीए गठबंधन को हराने का दम भर रही थी, अब उसी पीडीए के नाम पर पार्टी में कलह मची हुई है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के फ़ैसले अब उनकी ही पार्टी के नेताओं को रास नहीं आ रहे हैं और वे पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य समेत ये लिस्ट लंबी होती जा रही है.
अखिलेश यादव ने जया बच्चन और आलोक रंजन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने का एलान किया पार्टी में घमासान मच गया. स्वामी प्रसाद ने पार्टी पर भेदभाव का आरोप लगाकर राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया. स्वामी प्रसाद मौर्य के एलान के कुछ घंटों बाद ही अपना दल कमेरावादी और सपा विधायक पल्लवी पटेल ने भी पीडीए को लेकर खुलकर मोर्चा खोल दिया और कहा कि पार्टी में इसकी उपेक्षा की जा रही है. वो सपा प्रत्याशी को वोट नहीं करेंगी. उन्होंने राज्यसभा के लिए पिछड़े या अल्पसंख्यक को प्रत्याशी न बनाए जाने पर आपत्ति जताई.
सपा नेताओं में बढ़ा नाराज़गी
इससे पहले कि अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य और पल्लवी पटेल की नाराज़गी को दूर कर पाते सपा को एक और करारा झटका लगा. 16 फ़रवरी को प्रदेश सचिव कमलाकांत गौतम ने भी पार्टी में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद रविवार को बदायूँ से पांच बार सांसद रहे सलीम शेरवानी ने भी पार्टी महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया. सलीम शेरवानी ने भी सपा पर अल्पसंख्यकों की उपेक्षा का आरोप लगाया. वो भी किसी मुस्लिम को राज्यसभा नहीं भेजे जाने से नाराज हैं.
अखिलेश यादव से नाराजगी सिर्फ सपा नेताओं में ही नहीं बल्कि उनके सहयोगियों में भी देखने को मिल रही है. उनके सहयोगी भी ज़्यादा दिन नहीं चल पाते हैं पिछले दो सालों की ही बात करें तो विधानसभा चुनाव के बाद पहले सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर गठबंधन से अलग होकर एनडीए के साथ चले गए और अब जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल भी सपा को छोड़कर एनडीए ख़ेमे में चली गई है. इससे पहले सपा विधायक दारा सिंह चौहान भी इस्तीफ़ा देकर बीजेपी में शामिल हो गए.
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