Lok Sabha Election 2024: मिनी छपरौली के नाम से जानी जाती है अलीगढ़ सीट, सपा को अब तक नहीं मिली है जीत, जानें समीकरण
UP Lok Sabha Election 2024: जातियों का विभाजन करने पर ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, वैश्य के संयुक्त वोटर्स लगभग साढ़े 5 लाख हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग साढ़े 3 लाख, 2 लाख जाटव मतदाता हैं.
UP Lok Sabha Chunav 2024: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक अलीगढ़ भी है. शिक्षा, उद्योग और राजनीति का अलीगढ़ संगम है. अलीगढ़ को ताला उद्योग केंद्र, दो विश्वविद्यालय पूरे भारत वर्ष में पहचान दिलाते हैं. दिल्ली-एनसीआर से जुड़ा होने के कारण अलीगढ़ में रोड कनेक्टिविटी अच्छी है. यमुना एक्सप्रेसवे, दिल्ली-हावड़ा एनएच-91 सिक्स लेन से जुड़ने के कारण अलीगढ़ में उद्योग को काफी बढ़ावा मिल रहा है. अलीगढ़ लोकसभा अंतर्गत विधानसभा की 5 सीट आती हैं. अलीगढ़, कोल, अतरौली, खैर, बरौली विधानसभा की जनता लोकसभा उम्मीदवार को चुनती है.
सबसे पहले लगातार 4 बार कांग्रेस का कब्जा
उत्तर प्रदेश से लेकर देश भर में अलीगढ़ चर्चा का केंद्र रहता है. अलीगढ़ लोकसभा की सीट 1952 को अस्तित्व में आई थी. कुल 18 लाख 82 हजार मतदाताओं वाले अलीगढ़ में सबसे पहले लगातार 4 बार कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली थी. इसके बाद रिपब्लिकन पार्टी, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी, जनता दल, बसपा और बीजेपी प्रत्याशियों को भी अलीगढ़ से जीत मिली है. 1991 से लेकर 1999 तक अलीगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा. बीजेपी की शीला गौतम लगातार 4 बार सांसद चुनी गईं. उपचुनाव में भी शीला गौतम को जीत मिली.
सत्यपाल मलिक भी कर चुके हैं प्रतिनिधित्व
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक भी अलीगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने 1989 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता. मुख्यमंत्री और गवर्नर रहे बीजेपी के कद्दावर नेता कल्याण सिंह का अलीगढ़ गृह जनपद है. गृह जनपद से उन्होंने पढ़ाई और टीचर बनने के बाद राजनीति शुरू की थी. 2014 से लगातार बीजेपी के सतीश गौतम अलीगढ़ का प्रतिनिधित्व संसद में कर रहे हैं. अलीगढ़ लोकसभा सीट से अब तक समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज नहीं की है. बसपा महज एक बार अलीगढ़ से अपना सांसद बनवाने में सफल रही है.
जानें अलीगढ़ का क्या है जातीय समीकरण?
2014 और 2019 में बीजेपी प्रत्याशी सतीश गौतम ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी. दोनों ही चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नम्बर पर रहे थे. 2014 में सतीश गौतम ने 2 लाख 86 हजार और 2019 में 2 लाख 29 हजार वोटों के बड़े अंतर से मुकाबला जीता. अलीगढ़ की जनसंख्या 25 लाख के आस पास है. जातीय समीकरण के लिहाज से अलीगढ़ में 3 लाख मुस्लिम, ढाई लाख जाट, डेढ़ लाख ब्राह्मण मतदाता हैं. दो लाख जाटव, डेढ़ लाख ठाकुर-राजपूत, एक एक लाख वैश्य-बघेल, यादव और लोधे हैं.
जातियों का विभाजन करने पर ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, वैश्य के संयुक्त वोटर्स लगभग साढ़े 5 लाख हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग साढ़े 3 लाख, 2 लाख जाटव मतदाता हैं. अन्य जातियां (ओबीसी एवं छूटी हुई जातियां) लगभग 4.5 लाख की संख्या में है. राजनीतिक पहचान के लिहाज से अलीगढ़ का अतरौली कल्याण सिंह की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है. दिवंगत कल्याण सिंह के बेटे एटा से सांसद हैं. प्रपौत्र यानि कि राजू भईया के बेटे संदीप सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री हैं.
अतरौली विधानसभा सीट पर उनके प्रभाव के बिना कोई भी छोटा बड़ा चुनाव नहीं जीता जा सकता. राम मंदिर आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का कार्यकाल हमेशा याद रखा जाएगा. उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए कुर्सी को राम मंदिर निर्माण के लिए त्याग दिया था. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अहम रोल निभाती है अलीगढ़. अलीगढ़ मिनी छपरौली के नाम से भी जानी जाती है. अलीगढ़ जिले की दो विधानसभा में सबसे ज्यादा जाटों का वोट बैंक है. मिनी छपरौली कहे जाने का कारण यही माना जाता है. राजनीतिक रूप से अलीगढ़ में रालोद का मजबूत वोट बैंक है.