UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए बना इंडिया गठबंधन यूपी में बिखर रहा है. सपा से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने राज्यसभा में सपा को वोट न देने का एलान किया है. ये दोनों नेता राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होकर नई संभावना तलाशने में जुट गए हैं.
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में दरार पड़ती दिखाई दे रही है. अखिलेश द्वारा घोषित सात सीटें पा चुके जयंत चौधरी ने गठबंधन से हांथ छुड़ा अपनी राह अलग कर ली, वह भाजपा के साथ जाने का मन बना चुके हैं.
अनदेखी का आरोप लगाकर छोडे़ सपा
रही सही कसर सपा के मसाचिव पद पर आसीन स्वामी प्रसाद ने भेदभाव का आरोप लगाकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं राज्यसभा चुनाव के दौरान पीडीए की अनदेखी का आरोप लगाकर सपा की विधायक और अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने राज्यसभा चुनाव में वोट न देने का एलान किया है. इसके बाद उनके सपा से अलग होने की चर्चा भी जोरों पर हैं. पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य एक राह पकड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसी बीच सपा के प्रदेश सचिव व पूर्व कैबिनेट मंत्री कमलाकांत गौतम ने अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेज दिया है. अपने त्यागपत्र में उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भेदभाव पार्टी के भीतर भेदभाव हो रहा है, इससे बहुजन समाज काफी आहत है.
'हो सकती हैं नाराज होने की कई वजहें'
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि स्वामी के नाराज होने की एक नहीं कई वजहें हो सकती हैं. वह अपनी बेटी के लिए बदायूं से टिकट चाहते थे. लेकिन अखिलेश ने बदायूं से अपने परिवार के धर्मेंद्र यादव को टिकट देकर इनका रास्ता बंद कर दिया. स्वामी प्रसाद मौर्य नहीं चाहते थे कि फर्रुखाबाद से डॉ. नवल किशोर शाक्य को प्रत्याशी बनाया जाए. डॉ. शाक्य की शादी संघामित्रा से हुई थी, लेकिन बाद में तलाक हो गया था. इस बात से भी वह आहत हो सकते हैं.
रावत कहते हैं ऐसी चर्चा थी कि स्वामी प्रसाद राज्यसभा जाना चाहते थे, लेकिन सपा ने एन वक्त पर दूसरे को टिकट देकर उनके रास्ते में विराम लगा दिया. स्वामी लगातार हिंदू धर्म, उसके देवी-देवताओं टिप्पणी करते रहते हैं. पार्टी में अंदर से उन्हें किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिलता है. समय-समय उनके बयानों से पार्टी के बड़े नेता अपने को अलग कर लेते थे. स्वामी अपने को लिटमस टेस्ट में देख सकते हैं कि वह किस खाने में फिट हो सकते हैं. कांग्रेस का विकल्प भी उनके लिए खुला है.
'अपनी एक पार्टी भी बना सकते हैं'
सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की स्थिति में वह किसी एक सीट से कांग्रेस कोटे से दावेदार हो सकते हैं. वह अपनी एक पार्टी भी बना सकते हैं, हालांकि यह सभी अटकलें ही हैं. पल्लवी पटेल ने भी राज्यसभा के टिकट घोषित होने के बाद अपनी नाराजगी जता दी है. उन्होंने सपा पर पीडीए के विपरीत राज्यसभा में टिकट बांटने का आरोप दागा है. उन्होंने इस चुनाव में वोट न करने का भी एलान किया है. ऐसे में सपा का राज्यसभा चुनाव के का गणित भी उलझता नजर आ रहा है.
पल्लवी कांग्रेस की यात्रा में शामिल हो रही है. वह कुर्मी वोट बैंक को सहेजने के लिए यह कदम उठा रही है. कांग्रेस से डायरेक्ट डील में उनकी पार्टी को ज्यादा सीट मिलने की भी संभावना है. अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा को अपना समर्थन दिया है. पल्ल्वी ने कहा कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा में आज हम अपना समर्थन और संकल्प देने आए, जिस प्रकार राहुल गांधी दलित पिछड़ा शोषित सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना की लड़ाई राहुल गांधी लड़ रहे हैं, इस लड़ाई में अपना दल का साथ जहां उन्हें चाहिए होगा, हम उनके साथ खड़े होंगे.
'यह दबाव की राजनीति है'
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि राहुल गांधी की यात्रा यूपी आते ही एक सवाल तैर रहा कि अब सपा कांग्रेस के गठबंधन की तस्वीर साफ हो जाएगी. यात्रा के चंदौली शुरू होते सबसे पहले स्वामी और पल्लवी का संदेश यात्रा में शामिल होने को पहुंचता है. यह दबाव की राजनीति है. यह दोनों अखिलेश को संदेश दे रहे हैं. ये लोग अपनी-अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं. सपा के प्रवक्ता सुनील साजन कहते हैं कि लोकतंत्र में अपनी अपनी मर्जी चलती है. लेकिन पार्टी में सब ठीक है. कोई आता है कोई जाता है. सपा किसी के दबाव में नहीं आती है. लोग आएंगे जायेंगे. विचारधारा और आंदोलन बना रहेगा.