UP Politics: इस मुद्दे पर अलग-अलग राग अलाप रही कांग्रेस और सपा, अखिलेश यादव ने दिया करारा जवाब
Lok Sabha Election 2024: यूपी में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हो गया है, बावजूद इसके दोनों दल कई मुद्दों को लेकर एक दूसरे से अलग-अलग सुर अलाप रहे हैं.
UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रही है दोनों के बीच सीट शेयरिंग भी हो चुकी है लेकिन, अब भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. जिसके चलते अक्सर उनके अलग-अलग सुर सुनाई देने लगते हैं.
दरअसल यूपी में जब से इंडिया गठबंधन की बात की जा रही थी तभी से बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को भी विपक्षी दलों के साथ लाने की बात हो रही है. कई बार कांग्रेस ने इस मुद्दे पर खुलकर बात रखी और ये तक कहा कि बसपा के लिए गठबंधन के दरवाजे खुले हैं. लेकिन, इसके खिलाफ हैं.
बसपा को लेकर सपा-कांग्रेस के अलग सुर
रविवार को यूपी कांग्रेस की बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने एक बार फिर बसपा को इंडिया गठबंधन के साथ आने की अपील की. उन्होंने कहा कि भाजपा के कुशासन को हटाने के लिए बसपा को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
कांग्रेस नेता ने बताया कि बैठक में मायावती को लेकर कोई चर्चा तो नहीं हुई हैं लेकिन, अगर वो गठबंधन में आने का फ़ैसला लेती हैं तो निश्चित रूप से बात करनी होगी. भाजपा के कुशासन को हटाना है तो एक जैसे विचारों के लोगों को साथ आना होगा. हम गठबंधन में बसपा का स्वागत करेंगे.
मायावती के सवाल पर क्या बोले अखिलेश
हालांकि बसपा को इंडिया गठबंधन में शामिल करने की बात से सपा हमेशा से ही असहज महसूस करती रही है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से जब अविनाश पांडेय के बयान पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भाजपा के इशारे पर मीडिया को सवाल नहीं पूछने चाहिए.
दरअसल समादवादी पार्टी नहीं चाहती है कि बसपा इंडिया गठबंधन में शामिल हो. इसकी एक वजह ये भी है कि मायावती के आने से यूपी में बसपा को भी सीटें देनी पड़ेगी. यही नहीं सपा नेता कई बार ये भी कह चुके हैं कि मायावती का कोई भरोसा नहीं वो चुनाव के बाद फिर छोड़कर जा सकती है. उनकी गारंटी कौन लेगा.
दरअसल यूपी में दलित मतदाता आज भी बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ खड़े हैं. जो एकमुश्त बसपा को वोट करते हैं. हालांकि इसमें बीजेपी ने काफी हद तक पैठ बनाने में सफलता हासिल की है. वहीं अखिलेश यादव भी पीडीए का नारा देकर दलितों को जोड़ने की कोशिश कर रहे है.
मायावती ने यूपी में अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है. कांग्रेस को लगता है कि अगर मायावती साथ आती है तो गठबंधन और मजबूत होगा. लेकिन उनके अलग रहने से नुक़सान हो सकता है और लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी. इसका नुक़सान विपक्ष को ही होगा, पिछले चुनाव में ये देखा भी गया है.