UP Politics: 'कांग्रेस वाले मुझे अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाते', अखिलेश यादव का दावा, जानिए क्या कहा?
Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस से सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत के बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले उन्हें अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाते.
Akhilesh Yadav News: उत्तर प्रदेश में अभी तक समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) के बीच सीट शेयरिंग को लेकर आख़िरी फ़ैसला नहीं हो पाया है. दोनों दलों के बीच तीन राउंड की बैठक हो चुकी है. इस बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कांग्रेस को लेकर बड़ा बयान दिया है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले हमें अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाते हैं.
अखिलेश यादव ने इंडिया टीवी से ख़ास बातचीत में यूपी की राजनीति और गठबंधन को लेकर खुलकर बात की. इस दौरान जब उनसे सवाल किया गया कि क्या जब राहुल गांधी की यात्रा यूपी में आएगी तो वो उसमें शामिल होंगे. इस पर सपा अध्यक्ष ने कहा कि, 'बीजेपी वाले भी मुझे अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाते और कांग्रेस वाले अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाते हैं, यही समाजवादियों का रास्ता है.
कांग्रेस से सीट शेयरिंग के सवाल पर ये कहा
यूपी में अमेठी और रायबरेली सीट को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि, उस पार्टी को लेकर नेताजी के समय से हमारा राजनीतिक व्यवहार कायम रहा है. वो व्यवहार अमेठी रायबरेली में आगे तक भी कायम रहेगा. हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द ही बड़े दल छोटे दल आपस में मिलकर तय कर लेंगे कि किसको कहां चुनाव लड़ना है. प्रत्याशी इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि प्रत्याशी का अपना भी वोट होता है. पहले ही पता चल जाता है कि ये टिकेगा या नहीं, क्योंकि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए ये जरूरी है कि हमारा प्रत्याशी मजबूत हो.
अमेठी में राहुल गांधी की हार पर अखिलेश यादव ने कहा कि, इस तरह तो केशव प्रसाद मौर्य भी चुनाव हार गए थे लेकिन, डिप्टी सीएम बन गए. लोकतंत्र में हार जीत तो चलती रहती है. बहुत से लोग हारते हैं. डिंपल भी चुनाव हार गईं थी, फिर वो निर्विरोध जीत गई थीं, लोकतंत्र में ये सब चलता रहता है.
बसपा सुप्रीमो मायावती के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि हमने इंडिया गठबंधन बनाया है. पिछले चुनाव में भी हम सब अलग-अलग लड़े थे. बीजेपी की सरकार ने अगर अधिकारियों के माध्यम से बेईमानी नहीं की होती, पैसे की ताकत से लोगों को गुमराह नहीं किया होता और मीडिया चैनलों ने थोड़ा सा भी साथ दिया होता तो यूपी में समाजवादियों की सरकार होती. सबसे बड़ी बात अगर दिल्ली वाले यूपी में न आते तो यूपी वाले तो चुनाव हार ही गए थे.