Lok Sabha Election 2024: राज्यसभा की सात सीटों से यूपी की 80 सीटों पर BJP ने यूं साधे कई समीकरण, विपक्ष की बढ़ी मुश्किल
UP Lok Sabha Election 2024: UP में पिछड़े वर्ग में कुर्मी, जाट, बिंद और मौर्य को BJP का वोट बैंक माना जाता है.BJP ने एक बार फिर नए लोगों को मौका देकर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है.
UP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर BJP ने राज्यसभा के जरिए एक बड़ा दांव चला है. पार्टी ने जाति के साथ क्षेत्रीय संतुलन साधने में कोर कसर बांकी नहीं रखी है. BJP ने यूपी में ओबीसी एजेंडे पर मजबूत कदम बढ़ा दिया है.
BJP द्वारा घोषित राज्यसभा प्रत्याशियों पर ओबीसी की झलक साफ दिखने को मिल रही है. सात प्रत्याशियों में से चार ओबीसी वर्ग से हैं.
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए BJP ने राज्यसभा के माध्यम से कई समीकरण साधे हैं. चार प्रत्याशी पिछड़े वर्ग से मैदान में उतारकर पार्टी ने प्रदेश में ओसीबी की प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व दिया है. वहीं दो महिला उम्मीदवार उतारकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत किए जा रहे अपने वादे को पूरा करने का संदेश दिया है. अपने परंपरागत वोट बैंक ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य का भी ध्यान रखा है.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि BJP ने जातीय जनगणना की बढ़ती मांग के बीच राज्यसभा में बड़ा दांव खेला है.लोकसभा चुनाव के पहले राज्यसभा के माध्यम से सारे जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है. पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 60 प्रतिशत वोट हासिल करने के लिए पिछड़ों पर जोर दिया हैं.
अमरपाल मौर्य और आरपीएन को टिकट
प्रदेश में पिछड़े वर्ग में कुर्मी, जाट, बिंद और मौर्य को BJP का वोट बैंक माना जाता है. प्रदेश के कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए पूर्वांचल के कुर्मी नेता आरपीएन सिंह को मौका दिया है. वहीं कुशवाहा, शाक्य, सैनी वोट बैंक को साधने के लिए अमरपाल मौर्य को टिकट दिया है.
पांडेय ने बताया कि जयंत से गठबंधन के बीच मथुरा में जाट कार्ड खेलते हुए पूर्व सांसद तेजवीर सिंह को मैदान में उतारा है. पूर्वांचल में बिंद मतदाताओं को साधने के लिए पार्टी ने संगीता बलवंत बिंद को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है. वैश्य समाज से नवीन जैन को टिकट मिला है. ब्राह्मण समाज से सुधांशु त्रिवेदी को ही दोबारा अवसर मिला है. पीएम के संसदीय क्षेत्र से जुड़ी चंदौली से साधना सिंह का भी राज्यसभा जाना तय है.
BJP ने एक बार फिर नए लोगों को मौका देकर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है. इसके अलावा जो जातीय समीकरण में फिट हैं, उन्हें अवसर नहीं मिला तो उन्हें लोकसभा लड़ाए जाने की संभावना है.