UP Lok Sabha Election 2024: बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का एलान किया है. जिसके बाद इंडिया गठबंधन की राह मुश्किल हो गई हैं. कांग्रेस लगातार बसपा को साथ लाने की कोशिशें कर रही थी, लेकिन उनके एलान ने विपक्ष को कोशिशों को तगड़ा झटका दे दिया है. कांग्रेस को उम्मीद थी कि बसपा के आने से यूपी की लड़ाई मजबूत होगी, लेकिन मायावती के रुख से अब बीजेपी की राह आसान हो गई है.
बसपा सुप्रीमो मायावती सोमवार को जब मीडिया के सामने आईं, तो सभी की नज़रें इस बात पर टिकी हुई थीं, लोकसभा चुनाव को लेकर उनकी आगे की रणनीति क्या होगी. कयास इस बात के भी लगाए जा रहे थे कि मायावती इंडिया गठबंधन के साथ जाने का फैसला कर सकती हैं. अगर ऐसा होता तो यूपी में बीजेपी और विपक्ष के बीच सीधी टक्कर होती लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मायावती के एलान के बाद अब मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है.
मायावती ने कमजोर की विपक्ष की लड़ाई
मायावती के इस फैसले का असर 2024 के चुनाव में ज़रूर होगा. क्योंकि बसपा सीटों के मामले में भले ही मज़बूत न हो लेकिन वोट बैंक के मामले में वो काफी मज़बूत हैं. बसपा का एक वोट बैंक है जो हमेशा साथ दिखाई देता है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 के लोकसभा में भले ही बसपा एक भी सीट न मिली हो लेकिन पार्टी को 19.77% फ़ीसद वोट मिला. जबकि 2017 विधानसभा चुनाव में बसपा को 19 सीटों पर जीत मिली और वोट 22.23% रहा. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ चुनाव लड़ा और 10 सीटें मिली और सिर्फ 38 सीटों पर चुनाव लड़कर 19.26% वोट पाया. जबकि 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ़ 1 सीट मिली और वोट 12.88% रहा.
मायावती का वोट बैंक मजबूत
साल सीट वोट
2014 0 19.77%
2017 19 22.23%
2019 10 19.26%
2022 1 12.88%
बीजेपी को होगा सीधा फ़ायदा
इन आंकड़ों से साफ है कि मायावती भले ही सीटें जीते या न जीते, लेकिन उनके पास इतना वोट है कि वो लोकसभा चुनाव की तस्वीर बदल सकता है. अब जब मायावती अकेले चुनाव में जा रही है तो फिर इसका सीधा असर यूपी की राजनीति पर पड़ेगा. मायावती के अलग होने से विपक्ष की लड़ाई कमजोर हो जाएगी और यूपी की लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी. इससे बीजेपी का राह आसान जाएगी. बीजेपी भी यही चाहती है कि यूपी में गठबंधन न पाए.
मायावती अगर अकेले चुनाव में उतरने वाली हैं तो उनकी रणनीति साफ़ है कि भले ही उनकी पार्टी कोई सीट न जीत पाए लेकिन वो सपा का खेल ज़रूर ख़राब कर सकती हैं. क्योंकि पश्चिमी यूपी से पूर्वांचल तक कई सीटों पर मायावती का प्रभाव हैं और अगर मायावती इन सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार देती है तो सपा का वोट कम हो जाएगा, जैसे आज़मगढ़ उपचुनाव में हुआ था, जब बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी की वजह से सपा को हार का सामना करना पड़ा था. अगर मुस्लिम वोट बैंक बंटता है तो इसका सीधा फ़ायदा बीजेपी को होगा.
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