SP-Congress Alliance: लोकसभा चुनाव के एलान में सिर्फ 17 दिन बचे हैं. चुनावी गहमागहमी चरम है. लेकिन इसके बीच बुधवार को सबसे बड़ी खबर आई 80 सीट वाले उत्तर प्रदेश से जहां इंडिया अलायंस यूपी में दम तोड़ता दिखाई दे रहा था, उसे नई जिंदगी मिल गई है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सीट को लेकर फंसे सारे पेच सुलझा लिए. और मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. 


लोकसभा चुनाव के लिहाज से ये बहुत बड़ा सियासी डेवलपमेंट है. ये गठबंधन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए क्या मायने रखता है.? यूपी में इन दोनों पार्टियों का हाथ मिलाना. बीजेपी के लिए कितनी बड़ी चुनौती है.  


अवध क्षेत्र में कांग्रेस 5 सीट पर लड़ेगी. इसमें रायबरेली और अमेठी है.जो कांग्रेस की पारंपरिक सीट है. इसके अलावा कानपुर भी कांग्रेस के खाते में गई है. जहां कांग्रेस सपा से ज्यादा मजबूत है. इसी तरह सीतापुर और बाराबंकी से कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारेगी.


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अब बात करते हैं पूर्वांचल की सीटों की. इसमें वाराणसी से कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारेगी.जहां से पीएम मोदी सांसद हैं. कांग्रेस आखिरी बार यहां 2004 में जीती थी.  इसके अलावा प्रयागराज से भी कांग्रेस का प्रत्याशी खड़ा होगा.  महाराजगंज और देवरिया के अलावा गोरखपुर जिले में पड़ने वाले बांसगांव से भी कांग्रेस का प्रत्याशी उतारने पर समाजवादी पार्टी से सहमति बन गई है. 


पश्चिमी यूपी की बात करें तो कांग्रेस यहां की 6 सीटों पर लड़ेगी.इसमें से 5 सीटें अभी बीजेपी के पास हैं. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को जो सीट दी है.उसमें गाजियाबाद,सहारनपुर,बुलंदशहर,अमरोहा,मथुरा और फतेहपुर सीकरी है. 


बुंदेलखंड में कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ेगी. ये झांसी लोकसभा सीट है. 2009 के बाद कांग्रेस ये सीट नहीं जीत सकी है. पिछले दो चुनाव में यहां से भी बीजेपी को ही जीत मिली है.