UP Lok Sabha Chunav 2024: मुख्तार अंसारी की मौत 28 मार्च को हो चुकी है लेकिन गाजीपुर के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा अभी भी मुख्तार अंसारी ही बना हुआ है. प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी लागातर अंसारी परिवार पर हमला कर रहे हैं. साथ ही गाजीपुर से बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय भी अंसारी परिवार पर सियासी हमले कर रहे हैं. मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी इंडिया गठबंधन से प्रत्याशी हैं और वो मुख्तार अंसारी को मसीहा बता रहे हैं जबकि बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय मुख्तार को लगातार आतंकवादी बता रहे हैं.


पारसनाथ राय ने एक चुनावी सभा के दौरान अफजाल अंसारी पर बड़ा सियासी हमला बोला और कहा कि वो अपने भाई की तुलना राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह जैसे शहीदों से करते हैं और अपने भाई को शहीद बताते हैं. इससे ज्यादा शर्म की बात क्या हो सकती है. अफजाल अंसारी शहीद की तुलना अपने उस आतंकवादी भाई से कर रहे हैं जिसने कृष्णानंद राय सहित छह और लोगों के पत्नियों की मांग को धो डाला था. मुख्तार अंसारी ने मऊ में मन्ना सिंह समेत कई लोगों की हत्या की. 


पारसनाथ राय ने अंसारी परिवार पर बोला हमला
पारसनाथ राय ने कहा कि, मऊ का कोई डाक्टर ऐसा नहीं था जो मुख्तार अंसारी को रंगदारी टैक्स नहीं देता था. अफजाल अंसारी अपनी चुनावी सभाओं में पारसनाथ राय पर सियासी हमला करते हैं और कहते हैं कि जनता ने कभी पारसनाथ राय को अपने बीच नहीं देखा है. इस पर बीजेपी प्रत्याशी ने भी अफजाल अंसारी को घेरने की कोशिश की और कहा कि मेरा जो काम था वो मैं हमेशा कर रहा था. मैं अपनी क्लास में हमेशा मौजूद रहा लेकिन सांसद महोदय का क्षेत्र में रहना काम ही था लेकिन वो पांच साल अपने क्षेत्र की जनता के बीच नहीं दिखे.


गाजीपुर की बात करें तो यहां 1 जून को मतदान होना है. पूर्वांचल में वाराणसी के बाद सबसे चर्चित सीट गाजीपुर ही है जिसकी दो वजह हैं एक तो अफजाल अंसारी मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं इस वजह से ये सीट चर्चा में है दूसरा इस सीट पर बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था. अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी भी इस चुनाव में चर्चा में हैं क्योंकि वो निर्दल प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं.अफजाल अंसारी के गैंगेस्टर मामले को लेकर भी गाजीपुर का चुनाव चर्चा में है क्योंकि हाइकोर्ट में अफजाल अंसारी के मामले की सुनवाई चल रही है और उनको हाइकोर्ट से राहत मिलती है तभी वो चुनाव लड़ पायेंगे लेकिन उनको राहत नहीं मिली तो उनके चुनाव लड़ने का रास्ता बंद हो सकता है.


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