Gorakhpur News: देश में आम चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही प्रत्‍याशी अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. प्रत्‍याशी लग्‍जरी वाहनों के का‍फिलों के साथ अपने समर्थकों को लेकर शहर से लेकर गांव तक में जा रहे हैं. आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव और वर्तमान में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के साथ ही प्रधान का चुनाव भी हाईटेक हो गया है लेकिन पहले ऐसा नहीं था. प्रत्‍याशी प्रचार के लिए पैदल और साइकिल से निकलते रहे हैं. आज हम आपको 107 साल की ऐसी शख्सियत से मिला रहे हैं, जिन्‍होंने आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में मतदान किया था.


गोरखपुर के रहने वाले केएल गुप्‍ता की उम्र 107 साल है. आज भी वे एनई रेलवे मजदूर यूनियन के केन्‍द्रीय कार्यालय पर काम करते हुए मिल जाएंगे. रेलवे मजदूरों की आवाज बरसों से उठाते चले आ रहे केएल गुप्‍ता का ठिकाना भी यहीं पर है. वे यहीं पर रहते हैं. उनके परिवार में बेटा-बेटी और अन्‍य सदस्‍य भी हैं लेकिन अब वे घर से कार्यालय पर ही रहकर मजदूरों के हित की आवाज को उठाते हैं. केएल गुप्‍ता आसानी से सुन, देख और चल-फिर लेते हैं. अपने रोजमर्रा के काम भी कर लेते हैं. वे बताते हैं कि साल 1981 में रेलवे की नौकरी से रिटायर हुए. उसके बाद भी रेलवे के कर्मचारियों और मजदूरों की आवाज उठाते चले आ रहे हैं. आजादी के बाद पहले चुनाव में उन्‍होंने मतदान किया था.


'पहले नेता सादगी के साथ करते थे चुनाव प्रचार'
केएल गुप्‍ता बताते हैं कि पहले का चुनाव सादगी वाला चुनाव हुआ करता था. प्रत्‍याशी पैदल और साइकिल से चुनाव प्रचार के लिए जाते रहे हैं. आज का चुनाव रुपये के दम पर लोग लड़ते हैं. लग्‍जरी वाहनों से चलते हैं. रुपये के बल पर टिकट भी पा जाते हैं. वे कहते हैं कि उन्‍होंने कई सरकारों को देखा है. सभी वायदे करती हैं और उसे पूरा नहीं करती हैं. रेलवे के प्राइवेटाइजेशन से वे दुःखी हैं. वे कहते हैं कि चुनाव बाद ये भी निजी हाथो में बिक जाएगा. जब सांसद, विधायक को पुरानी पेंशन मिलती है, तो 2004 के बाद से उन लोगों के ऊपर नई पेंशन प्रणाली को क्‍यों थोपा गया. उन्‍हें भी पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए. ये सरासर गलत है.


ये भी पढ़ें: Meerut Lok Sabha Seat: 'एक बार मुझे सांसद के रूप में चुन लें, फिर मैं समस्याओं का पता लगाऊंगा'- BJP उम्मीदवार अरुण गोविल