Lok Sabha Election 2024: गोरखपुर की दो लोकसभा सीटों पर आज से शुरू होगी नामांकन की प्रक्रिया, सातवें चरण में होगा चुनाव, जानिए तैयारी और राजनीतिक समीकरण
UP Lok Sabha Election 2024: गोरखपुर की दो लोकसभा सीट गोरखपुर सदर और बांसगांव लोकसभा सीट के लिए 7 मई से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. प्रत्याशी 14 मई तक अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे.
UP Lok Sabha Chunav 2024: यूपी के गोरखपुर में 40 पार का पारा सियासी हवा को भी तेज कर रहा है. गोरखपुर में 2024 का लोकसभा चुनाव सातवें चरण में होगा. इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया भी 7 मई से शुरू हो रही है. गोरखपुर सदर और बांसगांव सीट के लिए कलेक्ट्रेट में नामांकन शुरू हो गया है. गोरखपुर और बांसगांव वीआईपी सीट पर भाजपा और गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है. नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सियासी माहौल के साथ प्रचार भी तेज हो जाएगा.
सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया कि प्रत्याशी 14 मई तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे. 15 मई को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी. प्रत्याशी 17 मई तक अपना नाम वापस ले सकेंगे. नामांकन सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक दाखिल होगा. 1 जून को सातवें चरण में मतदान होगा. गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर भाजपा ने सांसद रविकिशन को दूसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है. यहां उनका मुकाबला गठबंधन से सपा प्रत्याशी काजल निषाद और बसपा से चुनाव लड़ रहे जावेद सिमनानी से है. वहीं बांसगांव सीट पर कमलेश पासवान भाजपा के टिकट पर चौथी बार चुनाव मैदान में हैं. उनका मुकाबला गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद और बसपा के डा. राम समुझ से है.
10 मई को नामांकन दाखिल बीजेपी- इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी
गोरखपुर सदर और बांसगांव लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रविकिशन और कमलेश पासवान 10 मई को पर्चा दाखिल करेंगे. इसके साथ ही गठबंधन से गोरखपुर सदर से प्रत्याशी काजल निषाद और गठबंधन से बांसगांव से कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद भी 10 मई को ही नामांकन दाखिल करेंगे. ऐसे में 10 मई को सर्वाधिक पर्चा दाखिल होने और गहमा-गहमी की उम्मीद है. भाजपा के प्रत्याशियों के पर्चा दाखिला के पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभा को भी संबोधित करेंगे. वहीं गठबंधन प्रत्याशियों के नामांकन में भी विपक्ष के दिग्गज नेताओं के जुटने की उम्मीद की जा रही है. बसपा के गोरखपुर सदर से प्रत्याशी जावेद सिमनानी और बांसगांव से बसपा प्रत्याशी डा. रामसमुझ 9 मई को पर्चा दाखिल करेंगे.
लोकसभा 2024 के चुनाव को लेकर मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम पूरा हो चुका है. नई वोटर लिस्ट में गोरखपुर सदर और बांसगांव दोनों लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या 36,45,779 हो गई है. 56,039 नए मतदाताओं में चुनाव को लेकर उत्साह है. इनमें पुरुष मतदाता 19 लाख 60 हजार 560 हैं. महिला मतदाताओं की संख्या 16 लाख 84 हजार 968 है. अन्य मतदाता 251 हैं. 18 से 19 साल के मतदाता 40,007 है. 66,843 मतदाता 80 साल से अधिक उम्र के हैं. ईपी रेशियो 68ञ46 और जेंडर रेशियो 859 है. मतदान केन्द्रों की संख्या 2064 है. मतदेय स्थलों की संख्या 3678 है.
सीएम योगी का गढ़ मानी जाती है गोरखपुर सदर सीट
चुनाव को शुचितापूर्वक सम्पन्न कराने के लिए 293 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 32 जोनल मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं. नामांकन के लिए प्रत्याशी के साथ एक प्रस्तावक और दो समर्थक कुल चार लोग ही जा सकेंगे. जिले की सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में मिलाकर 56,039 नए मतदाता बढ़े हैं. इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं. जिले की सूची में 33 हजार 932 महिला मतदाता नई शामिल हुई हैं. पहली बार वोट देने के लिए सूची में शामिल हुए नए मतदाता जो पहली बार वोट करेंगे, उनमें 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अलग उत्साह होगा.
गोरखपुर सदर लोकसभा सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गोरखनाथ मंदिर की मानी जाती है. योगी आदित्यनाथ यहां से लगातार पांच बार सांसद रहे हैं. साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में सपा से इं. प्रवीण निषाद ने चुनाव जीत कर बड़ा उलटफेर किया था. प्रवीण निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के पुत्र हैं. वर्तमान में भी संतकबीरनगर लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हैं. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में गोरखपुर सदर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर बॉलीवुड अभिनेता रवि किशन शुक्ला ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
गोरखपुर की ये हैं प्रमुख समस्याएं
गोरखपुर की समस्याओं की बात करें तो ड्रेनेज सिस्टम बड़ी समस्या है. शहर की कई सड़कों को फोरलेन किया गया है, लेकिन अधिकतर मुख्य मार्गों पर बनी नालियां सड़क से ऊंची बनाई दी गई हैं. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है. शहर के कचरे को डंप करना नगर निगम के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है. इसके साथ ही लोगों को जाम के साथ अतिक्रमण की समस्या से रोज 2-4 होना पड़ता है. आईटीएमएस और रूट प्लान के बावजूद अधिकतर सड़कों पर लंबा जाम लगा होना, लोगों को मुसीबत में डाल देता है.कान्हा उपवन और अन्य गोशाला होने के बावजूद सड़क पर घूमने वाले आवारा और पालतू पशु दुर्घटना का कारण बनते हैं. नगर निगम इसमें भी पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है.
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