UP Lok Sabha Election 2024: राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने एनडीए में शामिल होने का एलान कर दिया है. वहीं रालोद की बीजेपी से नजदीकी बढ़ने का असर पश्चिमी यूपी में दिखने लगा है. राज्यसभा के लिए बीजेपी ने 7 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन पश्चिमी यूपी के तीन सांसद सियासी भंवर में फंस गए हैं. उम्मीद थी कि इनका नाम राज्यसभा की लिस्ट में आ सकता है, लेकिन नहीं आया. इससे पश्चिमी यूपी के कई जिलों में सियासी सूखा नजर आ रहा है, सबसे ज्यादा नुकसान मेरठ और बागपत को है जिसे लेकर सियासी गलियारों में बड़ी चर्चाएं हैं.


यूपी की राज्यसभा की जिन 10 सीटों के लिए चुनाव होना हैं, उसके लिए बीजेपी ने अपने सात प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं. मेरठ से राज्यसभा सांसद विजय पाल तोमर और राज्यसभा सांसद कांता कर्दम को बीजेपी दोबारा राज्यसभा नहीं भेजेगी. जो सूची जारी की गई उसमें दोनों के ही नाम आउट हैं. हालांकि चर्चा थी कि विजयपाल तोमर को दोबारा राज्यसभा भेजा जा सकता है, लेकिन ऐसा हो न सका. विजयपाल तोमर किसान राजनीति की गहरी समझ रखते हैं और वह ओडिशा के प्रभारी भी हैं. जबकि दलित फैक्टर साधने के लिए 2018 में कांता कर्दम को राज्यसभा भेजा गया था. उनका राज्यसभा जाना इसलिए भी चर्चा का विषय बना था कि बीएसपी की सुनीता वर्मा से वो मेरठ महापौर का चुनाव बड़े अंतर से हार गई थीं. सुनीता वर्मा बसपा से पूर्व विधायक रहे योगेश वर्मा की पत्नी हैं और फिलहाल दोनों सपा में हैं.


राज्यसभा के प्रत्याशियों में मेरठ मंडल से कोई नाम नहीं है. चर्चा है कि जयंत चौधरी से डील फाइनल है और बस घोषणा होना बाकी है. वहीं माना जा रहा है कि बागपत लोकसभा सीट आरएलडी को दी जाएगी. ऐसे में बागपत से दो बार सांसद रहे और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ सत्यपाल सिंह का क्या होगा.  राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि उन्हें एडजस्ट किया जाएगा, फिलहाल राज्यसभा के प्रत्याशियों की सूची से वो भी बाहर हैं.


वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा का इस मामले पर कहना है कि जयंत फैक्टर के बाद पश्चिमी यूपी में काफी कुछ बदल गया है. इसलिए राज्यसभा में भी ये बदलाव दिखा. कांता कर्दम कोई छाप नहीं छोड़ पाई, जबकि विजयपाल तोमर के अनुभव का लाभ पार्टी संगठन के अन्य कार्यों में लेना चाहती है. जबकि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और बागपत से दो बार के सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह की राजनीतिक पारी खत्म होती दिख रही है. उनका कहना है पार्टी को लगा कि अब उनकी सेवानिवृति का समय आ गया है क्योंकि जयंत के रूप में बड़ा और प्रभावी जाट चेहरा मिल गया है.