Kaiserganj BJP Candidate: लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट सुर्खियों में बनी हुई है. इस सीट से बीजेपी ने गुरुवार को करण सिंह के नाम का ऐलान किया. बीजेपी ने बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट कर करण सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है. 


कैसरगंज सीट को लेकर दिलचस्प बात ये हैं कि अभी तक समाजवादी पार्टी  ने प्रत्याशी नहीं उतारा है. पूरे मामले को चुप्पी साधकर देख रही है. कैसरगंज सीट 1996 से सपा का दबदबा रहा है लेकिन पिछली दो बार से इस सीट पर बीजेपी के टिकट पर बृजभूषण शरण सिंह चुनाव जीतते आए हैं. 


महिला पहलवानों के आरोप के बाद बृजभूषण शरण का टिकट इस पर अटक गया है. ख़बरों की माने तो भाजपा बृजभूषण की पत्नी केतकी सिंह या बेटे प्रतीक को टिकट देना चाहती है लेकिन बीजेपी सांसद अपने नाम पर ही अड़े हैं जिसकी वजह से अब तक इस सीट पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. सत्रों के मुताबिक अगर बृजभूषण को बीजेपी से टिकट नहीं मिलता तो सपा भी उन्हें टिकट दे सकती है. 


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कैसरगंज का सियासी समीकरण
उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट का गठन 1952 में हुआ था. जब पहली बार इस सीट पर हिन्दू महासभा से शकुंतला नायर ने चुनाव जीता था. इसके बाद 1957 में यहां से कांग्रेस के भगवानदीन मिश्र ने चुनाव जीता. इस सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा पांच पार इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है. 


साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बृजभूषण शरण सिंह ने सपा के टिकट पर चुनाव जीता था, जिसके बाद वो भाजपा में शामिल हो गए. 2014 के चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के विनोद कुमार सिंह को हरा दिया. उन्हें 3.81 लाख वोट मिले वहीं 2019 में बृजभूषण को 581,358 वोट मिले, दूसरे नंबर पर बसपा चंद्रदेव यादव रहे जिन्हें इस चुनाव में 3,19,757 मिले. यानी हर चुनाव में उनकी जीत का फासला बढ़ता चला गया. 


बृजभूषण को साइड करना मुश्किल
कैसरगंज सीट पर बृजभूषण शरण सिंह को साइडलाइन करना बीजेपी के लिए आसान नहीं हैं. इस सीट पर उनका खासा प्रभाव रहा है, उसकी वजह यहां का जातीय समीकरण है. इस सीट पर ब्राह्मण और राजपूत वोट निर्णायक भूमिका में है, जो बीजेपी का कोर वोटर माने जाते हैं. बृजभूषण राजपूत समाज से आते हैं लेकिन, ओबीसी वोटर्स पर भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है.