UP Lok Sabha Chunav 2024: यूपी के गोरखपुर जनपद की बांसगांव सुरक्षित लोकसभा सीट पर गठबंधन प्रत्याशी को लेकर घमासान मच गया है. एक ओर जहां इस सीट से कमलेश पासवान भाजपा से लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद चौथी बार जीत के लिए चुनाव मैदान में हैं. वहीं बसपा ने पूर्व आयकर आयुक्त डा. रामसमुझ को टिकट दिया तो बांसगांव सुरक्षित सीट से बसपा के टिकट पर पिछले दो चुनाव में हार का सामना कर चुके सदल प्रसाद दल बदलकर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. अब कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता ही उनका विरोध कर रहे हैं. वे कांग्रेस से बहराइच से सांसद रह चुके गांधी परिवार के करीबी कमांडो कमल किशोर को टिकट देने की मांग कर रहे हैं.
गोरखपुर की बांसगांव लोकसभा सीट बसपा में पूर्व मंत्री रहे सदल प्रसाद गठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. बांसगांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस का अच्छा खासा जनाधार भी है. हालांकि कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारी और कार्यकर्ता सदल प्रसाद का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने रविवार को गोरखपुर के कौड़ीराम में बैठक की है. बैठक में उन्होंने कांग्रेस के बांसगांव प्रत्याशी को बदलने की मांग की है.
वहीं जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की है. उनका कहना है कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए बहुत से बड़े नेता हैं. कमांडो कमल किशोर यहां के रहने वाले हैं. वे बहराइच से सांसद रह चुके हैं. इसके साथ ही कांग्रेस की स्नेहलता गौतम समेत अनेक पदाधिकारी हैं, जो बांसगांव से अपनी प्रत्याशिता के लिए आस लगाए बैठे थे.
कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध तेज
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने बसपा कैडर के नेता रहे सदल प्रसाद को बांसगांव सुरक्षित सीट से टिकट दिया है. इसके लिए जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. उन्हें ये समझना चाहिए था कि किसी कांग्रेस के पदाधिकारी या कार्यकर्ता को टिकट मिलना चाहिए था. शीर्ष नेतृत्व को भ्रम में रखकर बसपा नेता सदल प्रसाद को कांग्रेस में शामिल कराकर टिकट दिलाया गया है. ऐसे में वे लोग उनका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि कमांडो कमल किशोर, स्नेहलता गौतम और कई ऐसे वरिष्ठ कांग्रेसी हैं, जिन लोगों ने टिकट की मांग की थी. उन्हें टिकट मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
बांसगांव (सुरक्षित) लोकसभा सीट श्रीनेत वंश के राजपूतों के कारण खास पहचान रखता है. ओम प्रकाश पासवान की हत्या के बाद भाजपा सांसद कमलेश पासवान की मां सुभावती पासवान साल 1996 में सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बनीं. हालांकि इसके बाद वे दो चुनाव में हार का सामना करने के बाद राजनीति से दूर हो गईं. उनके बड़े पुत्र कमलेश पासवान ने योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद लिया और साल 2009 में चुनाव मैदान में उतरे और जीत का सेहरा उनके सिर बंधा. साल 2014 में भी भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और एक बार फिर जीतकर वे युवा सांसद के रूप में संसद पहुंचे.
साल 2019 में भी कमलेश पासवान ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता. अब वे चौथी बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं. कमलेश पासवान प्रदेश के युवा सांसदों में से एक हैं. उनके पास स्नातक तक की डिग्री है. राजनीतिक परिवार में जन्मे कमलेश के परिवार में एक बेटा और दो बेटियां हैं. इस सीट में पांच विधानसभा सीटें आती हैं. चौरीचौरा, बांसगांव, चिल्लूपार, रुद्रपुर, बरहज. वर्तमान में इन पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.
क्या हैं बांसगांव का जातीय और राजनीतिक समीकरण
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का इस सीट पर मजबूत प्रभाव है. बीजेपी को इस सीट पर लगातार कामयाबी के पीछे योगी आदित्यनाथ की इस क्षेत्र में लोकप्रियता भी एक पहलू है. इस सीट में पांच विधानसभा सीटें आती हैं. चौरी-चौरा, बांसगांव, चिल्लूपार, रुद्रपुर, बरहज. वर्तमान में इनमें से पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 28 फीसदी है, 97 फीसदी आबादी गांव में रहती है.
साल 20211 की जनगणना के मुताबिक यहां अनुसूचित जाति की आबादी 28 फीसद, अनुसूचित जनजाति 1 फीसद, मुस्लिम 6.39 फीसद है. यहां निषाद वोटर करीब डेढ़ से दो लाख के बीच हैं. यादव वोटर भी अच्छी तादाद में हैं. बांसगांव लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 21,96,918 है. सवर्ण- 5 लाख, ओबीसी- 8.34 लाख, दलित- 2.50 लाख, मुस्लिम 1.50 लाख मतदाता हैं.
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