UP Lok Sabha Chunav 2024:  उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती फिलहाल किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. इतना ही नहीं वह कई मौकों पर किसी अलायंस का हिस्सा बनने से इनकार कर चुकी हैं. हालांकि उन्होंने बीते दिनों पहली बार भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन यानी इंडिया अलायंस के भीतर अपनी आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इतना ही नहीं उन्होंने नाम लेते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी टिप्पणी की. इसके अलावा उन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भी बयान का जिक्र किया है.


हालांकि सवाल यह उठ रहा है कि ऐसे में जबकि मायावती इंडिया अलायंस में नहीं हैं और वह भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में जाना नहीं चाहती हैं तो अखिलेश यादव या गठबंधन के अन्य दलों के नेताओं की टिप्प्णी से उन्हें फर्क क्यों पड़ रहा है? सोशल मीडिया साइट एक्स पर मायावती द्वारा हालिया दिनों में किए गए सिलसिलेवार ट्वीट्स और सपा प्रमुख पर जुबानी हमलों के सदंर्भ में राजनीतिक जानकार बसपा चीफ का पुराना बयान याद दिलाते हैं. 


दिसंबर में मायावती ने दी थी ये सलाह
दिसंबर 2023 में एक प्रेस वार्ता के दौरान मायावती ने बसपा और अन्य विपक्षी दलों को इशारों में यह सलाह दी थी कि किसी के खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल न किया जाए, जिससे कि जरूरत के वक्त पर सहयोग मांगने में हिचक हो. इसके अलावा राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बसपा चीफ, इंडिया में अपने लिए हो रहे बंद दरवाजों को लेकर भी असहज हैं. एक ओर जहां कांग्रेस, यूपी में इंडिया अलायंस में बसपा को साथ लाने की पुरजोर वकालत कर रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी इसके खिलाफ है.


कांग्रेस के संदर्भ में सूत्रों का दावा यहां तक है कि पार्टी की यूपी इकाई के कुछ नेताओं ने बीते महीने हाईकमान से हुई वार्ता के दौरान बसपा को साथ लाने की वकालत की. हालांकि सपा का विरोध, कांग्रेस के माथे पर चिंता का बल बन चुका है. दूसरी ओर कांग्रेस यह भी नहीं चाहती है कि बसपा को साथ लाने की कोशिशों में सपा का साथ उसके हाथ से छूट जाए.


कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि वह सपा का साथ नहीं छोड़ेगी. बसपा अगर साथ आएगी तो यह और अच्छा होगा. ऐसे में यह माना जा रहा है कि सपा और कांग्रेस एक बात पर राजी हैं कि जब तक अखिलेश यादव तैयार नहीं होते तब तक बसपा की इंडिया में एंट्री नहीं होगी.


बसपा सुप्रीमो ने रविवार और सोमवार को जो सिलसिलेवार सोशल मीडिया पोस्ट्स किए, उनसे यही संदेश जा रहा है कि वह इस बात से असहज हैं कि इंडिया अलायंस में उनकी एंट्री पर संकट है. दरअसल, बसपा भले ही आगामी चुनाव में अकेले जाने का दावा कर रही हो लेकिन वोट के समीकरण उसके अनुकूल नहीं हैं.


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बसपा के लिए बिगड़ जाएगा वोट का समीकरण?
यूपी में इंडिया के तहत- सपा, रालोद और अपना दल कमेरावादी (कृष्णा पटेल की पार्टी) साथ चुनाव लड़ रहे हैं. अगर ये तीनों दल अलायंस में साथ रहते हैं तो बसपा को इस बात की आशंका है कि मुस्लिम वोट उससे पूरी तरह दूरी बना सकते हैं. सपा भी अलायंस में इसलिए बनी रहना चाहती है ताकि वोटर्स के बीच यह मैसेज न जाए कि पार्टी मुस्लिम मतों का बिखराव चाहती है. हालांकि उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि बसपा साथ नहीं आनी चाहिए.


इन सबके बीच अगर मुस्लिम और पिछड़े मतदाताओं की बड़ी संख्या सपा, रालोद और अपना दल कमेरावादी के साथ गई तो बसपा के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं होंगी. मायावती इस बात को समझ रही हैं कि अगर वह इंडिया अलायंस से बाहर रहीं तो दलित छोड़ कोई अन्य वोटबैंक उनके पास शायद ही रहे और अगर ऐसा ही हुआ तो बसपा के लिए लोकसभा चुनाव के परिणाम उम्मीद के मुताबिक होंगे या नहीं यह वक्त बताएगा.