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Lok Sabha Election 2024: जयंत चौधरी के सामने विरासत बचाने की बड़ी चुनौती, जानें- बीजेपी के साथ जाने की 5 वजह?

UP Lok Sabha Chunav 2024: रालोद मुखिया जयंत चौधरी के एनडीए में जाने की अटकलों को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि जयंत चौधरी उत्तर प्रदेश की 'खुशहाली' के लिए चल रहे संघर्ष को कमजोर नहीं करेंगे.

UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है. सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) नेता जयंत चौधरी I.N.D.I.A गठबंधन का साथ छोड़ बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में जा सकते हैं. वहीं इन अटकलों को लेकर जयंत चौधरी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सूत्रों की मानें तो जयंत चौधरी के एनडीए में आने पर दो सीटों पर रालोद को चुनाव लड़ाया जा सकता है, जिसमें बागपत और मथुरा रालोद को दी जा सकती हैं. इसके साथ ही एक राज्याभा की सीट भी रालोद को दी जा सकती है. इस खबर में जानें कि रालोद के बीजेपी में जानें 5 वजहें क्या हो सकती हैं.

अखिलेश का साथ क्यों छोड़ेंगे जयंत चौधरी, जानें- वजह

1.RLD का बेस्ट BJP के साथ 

2002 यूपी विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था, जिसमें 14 विधायक जीते थे. वहीं 2009 लोकसभा चुनाव भी रालोद ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था, जिसमें BJP गठबंधन के साथ रालोद के 5 सांसद जीते थे.

2. सपा के साथ पसंद की सीटें न मिलना

सूत्रों की मानें तो रालोद ने कैराना सीट की मांग की लेकिन वह नहीं मिली. जिसका RLD विधायक अशरफ अली ने विरोध जताया.

3. लोकसभा में खाता खोलने की चुनौती

रालोद की पिछले दो चुनाव में एक भी लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिली है. अब बीजेपी के साथ जाने से रालोद की लोकसभा सीट पर जीत भी दर्ज हो सकती है, क्योंकि रालोद को BJP के जाट वोट बैंक से भी फायदा मिल सकता है.

4. मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी

वहीं बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर रालोद को केंद्र और यूपी के मंत्रिमंडल में भी जगह मिलने की संभवाना है. इसके साथ ही पार्टी और कार्यकर्ताओं में नई उर्जा भी मिलेगी.

5. अजीत चौधरी के बाद पहला चुनाव

लोकसभा चुनाव 2024 अजीत चौधरी की विरासत बचाने की लिए बड़ी चुनौती होगा. क्योंकि यह चुनाव चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद पहला चुनाव है और इस चुनाव में रालोद की जीत जरूरी है. इस समय RLD का वोट बैंक कम हो रहा है और इस चुनाव में मिली जीत कार्यकर्ताओं में नई उर्जा देने का काम करेगी.

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लोकसभा चुनाव में रालोद का प्रदर्शन

साल 1999 के बाद रालोद ने 5 चुनाव लड़े हैं, जिसमें 1999 में 15 सीटों पर लड़ी रालोद को 2 सीटों पर जीत मिली. साल 2004 में सपा के साथ मिलकर 10 सीटों पर चुनाव लड़ी रालोद को 3 सीटों पर जीत मिली. वहीं 2009 में बीजेपी के साथ मिलकर 7 सीटों पर चुनाव लड़ी रालोद को 5 सीटों पर जीत मिली है. साल 2014 में कांग्रेस के साथ मिलकर 8 सीटों पर चुनाव लड़ी रालोद का खाता भी नहीं खुला और साल 2019 में भी रालोद का कुछ ऐसा ही हाल रहा है. सपा-बसपा के साथ तीन सीटों पर चुनाव लड़ी रालोद को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली.


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यूपी विधानसभा चुनाव में RLD का प्रदर्शन

वहीं यूपी में रालोद के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन की बात करें तो साल 2002 का चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था. रालोद ने इस चुनाव में 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें रालोद के 14 विधायकों की जीत हुई थी. साल 2007 के चुनाव में रालोद 254 सीटों पर लड़ी जिसमें महज 10 सीटों पर पार्टी को जीत मिली. वहीं 2012 में रालोद कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी, 46 सीटों पर रालोद ने अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें रालोद की 9 सीटों पर जीत मिली. साल 2017 में रालोद 277 सीटों पर चुनाव लड़ी जिसमें महज एक सीट पर उसे जीत मिली. इसके साथ ही साल 2022 का चुनाव रालोद ने SP के साथ मिलकर लड़ा था, जिसमें रालोद ने 33 सीटों पर उतारे जिसमें रालोद की 8 सीटों पर जीत दर्ज हुई.

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