Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के लिए अब दस दिन से भी कम समय बचा है. पहले फेस में पश्चिमी यूपी की आठ सीटों वोटिंग होनी है. इनमें एक नक्काशीदार लकड़ी के लिए मशहूर सहारनपुर लोकसभा सीट भी है. जिस पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है.
सहानपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने पूर्व सांसद राघव लखनपाल को उम्मीदवार बनाया है, राघव 2014 में इस सीट से सांसद रह चुके हैं. वहीं इंडिया गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है, कांग्रेस ने यहां से इमरान मसूद को मैदान में उतारा है, जो पीएम मोदी को लेकर बोटी-बोटी वाले बयान से सुर्खियों में आए थे तो वहीं बसपा ने भी मुस्लिम प्रत्याशी माजिद अली को टिकट देकर टक्कर को दिलचस्प बना दिया है.
सहारनपुर का इतिहासv
उत्तर प्रदेश की सहारनपुर सीट लड़की के फर्नीचर के लिए मशहूर है, ये जनपद एक तरफ हरियाणा के बॉर्डर से लगता है तो वहीं दूसरी तरफ इसकी सीट उत्तराखंड से सटी हुई है. सहारनपुर की स्थापना 1340 के आसपास हुई थी. इस जिले का नाम राजा सहारन पीर के नाम पर पड़ा है.
सहारनपुर हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति की एकता का प्रतीक माना जाता है. एक तरफ यहां हिन्दुओं की प्राचीन मां शाकुम्भरी देवी सिद्धपीठ मंदिर आस्था का स्थान है तो वहीं दूसरी ओर देवबंद दारुल उलूम विश्व पटल पर सहारनपुर की पहचान है.
सहारनपुर का सियासी समीकरण
सहारनपुर लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है. अब इस सीट पर किसी खास पार्टी का प्रभाव नहीं है. यहां से बीजेपी, सपा, बसपा सभी प्रमुख राजनीतिक दल चुनाव जीत चुके हैं. सहारनपुर में एक बार समाजवादी पार्टी, तीन-तीन बार बसपा और बीजेपी के सांसद रह चुके हैं.
- साल 1977 और 1980 में जनता पार्टी के रशीद मसूद सांसद बनें
- साल 1984 में कांग्रेस ने चुनाव जीता. लेकिन, 1989 और 1991 में फिर जनता दल से रशीद मसूद सांसद बने.
- साल 1996, 1998 में भी बीजेपी को सहारनपुर सीट पर जीत मिली.
- 1999 में बीएसपी, 2004 में समाजवादी पार्टी और 2009 में फिर बहुजन समाज पार्टी ने यहां से जीत हासिल की.
- 2014 में बीजेपी के राघव लखन पाल शर्मा चुनाव जीते
- 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में हाजी फजलुर्रहमान ने यहां से जीत दर्ज की.
सहारनपुर का जातिगत समीकरण
सहारनपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या 6.5 लाख, दलित 3.5 लाख, क्षत्रिय 1.5 लाख, सैनी 1.25 लाख, गुर्जर 1.2 लाख, जाट 1 लाख, ब्राह्मण 80 हजार और वैश्य मतदाता की संख्या 70 हजार है.