UP Politics: अखिलेश यादव को एक और झटका! सपा से नाता तोड़ेंगे सलीम शेरवानी? इन पार्टियों में जाने की चर्चा तेज
UP Politics: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक और झटका लग सकता है. महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले सलीम शेरवानी जल्द पार्टी छोड़कर सकते हैं.
Akhilesh Yadav News: समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व सीएम अखिलेश यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और बदायूं सीट से पांच बार के सांसद सलीम इकबाल शेरवानी जल्द ही समाजवादी पार्टी की सदस्यता भी छोड़ेंगे. सपा छोड़ने का औपचारिक एलान वो 26 फरवरी को बदायूं में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में करेंगे. क़यास लग रहे हैं कि सलीम शेरवानी समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने के बाद तीसरी बार कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
हालांकि पिछले एक हफ्ते में उनकी बीजेपी के भी कुछ नेताओं से बातचीत हुई है. सलीम शेरवानी के करीबियों का दावा है कि बीजेपी ने भी पूर्व केंद्रीय मंत्री को अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया है और साथ ही उनके कद के मुताबिक उचित सम्मान दिए जाने की बात भी कही है. ऐसे में उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
सपा को छोड़ देंगे सलीम शेरवानी
समर्थकों का दावा है कि सलीम शेरवानी लोकसभा का चुनाव भी लड़ेंगे. हालांकि सीट और पार्टी को लेकर अभी कुछ भी फाइनल नहीं है. सलीम शेरवानी 21 फरवरी को अपने गृह नगर प्रयागराज जा रहे हैं. यहां वह भविष्य के फैसले को लेकर करीबियों व समर्थकों से रायशुमारी करेंगे. सलीम शेरवानी के पार्टी छोड़ने पर समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है.
दरअसल अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को जिस बदायूं सीट से लोकसभा का उम्मीदवार घोषित किया है, वहां सलीम शेरवानी का खासा प्रभाव माना जाता है. सलीम शेरवानी वहां से पांच बार सांसद चुने गए हैं, जबकि कुछ चुनाव वह हारे भी हैं. बदायूं सीट पर अभी सपा के बागी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य सांसद है. स्वामी प्रसाद मौर्य की वजह से उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य का टिकट बदले जाने की भी चर्चा है.
बीजेपी में भी शामिल हो सकते हैं शेरवानी
माना जा रहा है कि अगर बीजेपी में बात बनती है तो सलीम शेरवानी बदायूं सीट पर धर्मेंद्र यादव के खिलाफ ताल ठोकते हुए नजर आ सकते हैं. वैसे रुहेलखंड इलाके के रामपुर, मुरादाबाद और संभल जैसी मुस्लिम बाहुल्य सीटें भी उनके लिए मुफीद बताई जा रही हैं. सलीम शेरवानी के सामने दुविधा यह है कि अगर वह बीजेपी के ऑफर को कबूल करते हैं तो उनके ज्यादातर मुस्लिम समर्थक साथ छोड़ देंगे. ऐसे में उनके तीसरी बार कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की ही संभावना ज्यादा है. वैसे सीधे चुनाव लड़ने के बजाय वह राज्यसभा भी भेजे जा सकते हैं.
सलीम शेरवानी किस पार्टी में शामिल होंगे और कहां से चुनाव लड़ेंगे, फिलहाल इस पर सस्पेंस है, लेकिन यह जरूर तय हो गया है कि वह अब समाजवादी पार्टी में नहीं रहेंगे और अखिलेश यादव का साथ छोड़ देंगे. सलीम शेरवानी ने पार्टी में मुसलमान की अनदेखी का आरोप लगाते हुए महासचिव पद से इस्तीफा दिया है, लेकिन माना यह जा रहा है कि पहले बदायूं सीट से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने और उसके बाद राज्यसभा चुनाव में भी मौका नहीं मिलने से वह नाराज थे.