UP Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में I.N.D.I.A. अलायंस की नई तस्वीर बना सकते हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को तवज्जो नहीं दी और अब राजस्थान में पार्टी ने जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकदल के साथ यही किया.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ 2 सीटों भरतपुर और मालपुरा पर चुनाव लड़ने वाली रालोद को पार्टी ने इस चुनाव में अभी तक सिर्फ एक सीट दी है. कांग्रेस ने रविवार रात कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी की और उसमें मालपुरा सीट से घासी लाल चौधरी को उम्मीदवार बना दिया.
अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि जो रालोद 4-5 सीटें मांग रही थी, उसे अब एक सीट से ही संतोष करना पड़ेगा. साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में रालोद ने भरतपुर से सुभाष गर्ग को प्रत्याशी बनाया था और वह जीतकर विधानसभा पहुंचे. इतना ही नहीं कांग्रेस ने उन्हें अशोक गहलोत कैबिनेट में भी जगह दी.
जयंत की चुप्पी के क्या हैं मायने?
अब एमपी में सपा और राजस्थान में रालोद को सीटें न देकर कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की बात को पुष्ट तो कर दिया है कि I.N.D.I.A. अलायंस विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव के लिए बना है लेकिन क्या मौजूदा सीट शेयरिंग का असर, यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान नहीं पड़ेगा, यह कहना अभी आसान नहीं है.
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही अपने बयानों से यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जैसा कांग्रेस ने उनके साथ किया, वैसा ही यूपी में भी हो सकता है. सपा और कांग्रेस के बीच जब एमपी में सीट शेयरिंग पर विवाद हुआ तब जयंत चौधरी और रालोद चुप रही थी. हालांकि अब राजस्थान में सिर्फ 1 सीट पाकर रालोद का कांग्रेस के प्रति क्या रुख होगा, यह वक्त बताएगा.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीट शेयरिंग को लेकर अब तक चुप बैठी रालोद, यूपी में सपा के साथ कांग्रेस को आंख दिखा सकती है. अखिलेश यादव ने बीते दिनों सपा कार्यकारिणी की बैठक में यह एलान किया था कि उनकी पार्टी 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं रालोद यूपी में 10-12 सीटों की मांग कर रही है. ऐसे में अब इस बात की संभावना ज्यादा है कि कांग्रेस को इस गठबंधन में कितनी सीटें मिलेंगी इसका फैसला सपा और रालोद दोनों मिलकर करेंगे.
राजस्थान और एमपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रवैये से दुःखी और नाराज सपा एक ओर जहां यूपी में बदला लेने के मूड में है तो वहीं रालोद की चुप्पी के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि रालोद, अपनी चुप्पी के जरिए ही सपा को समर्थन देने के मंतव्य के साथ लोकसभा चुनाव में अखिलेश के साथ आगे बढ़ेगी.