UP Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के लिए सियासी बिगुल बज गया है. सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में लग गए हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश में सियासी पारा बढ़ने लगा है. यहां बीजेपी पहले चरण के अपना चुनाव प्रचार शुरू भी कर दिया है. वहीं दूसरी ओर इंडिया अलायंस में शामिल समाजवादी पार्टी ने यूपी की कई सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है, लेकिन रायबरेली सीट पर अब तक सपा-कांग्रेस अलायंस की तरफ से उम्मीदवार नहीं घोषित किए गए हैं. यह सीट कांग्रसे की खाते में गई है. 


रायबरेली उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. इसे कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. साल 1967 से 1977 तक यह सीट पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास थी. साल 2004 से 2024 तक यह सीट सोनिया गांधी के पास थी. कयास लगाया जा रहा है कि कांग्रेस रायबरेली सीट से प्रियंका गांधी के नाम पर मुहर लगा सकती है. आइए जानते सपा का रायबरेली सीट पर वॉकओवर का इतिहास.


सपा ने क्यों दिया कांग्रेस को वॉकओवर?


यूपी 2007 विधानसभा चुनाव में सपा का वोट प्रतिशत काफी कम हो गया. जिससे रायबरेली में सपा की जमीन खिसकने का खतरा दिखने लगा. रायबरेली सीट पर अपना (सपा) वोट बैंक कम देखकर 2009 लोकसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस को वॉकओवर दे दिया. सपा ने भविष्य की रणनीति पर काम करते हुए ऐसा किया और नतीजा ये रहा कि कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी लगातार इस सीट पर जीत का परचम लहराती रहीं. सपा के वॉकओवर देने की वजह से कांग्रेस को फायदा हुआ. तो वहीं इसके बिना 2009 में बहुजन समाज पार्टी और 2019 में बीजेपी प्रत्याशी से सोनिया गांधी की राह मुश्किल हो जाती.


क्या थी रायबलेरी सीट को लेकर मुलायम यादव की सोच? 


समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने 1993 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, अमेठी, प्रतापगढ़ को अपने मुख्य एजेंडे में रखा था. उनकी कोशिश थी कि इन जिलों में  सियासी गणित का फार्मूला सटीक बैठाने की क्योंकि इन जिलों में पिछड़ों का वोट बैंक करीब 20 फीसदी तक है साथ ही मुस्लिमों का वोट बैंक भी 6 से 10 फीसदी तक है. इसके बाद सपा लगातार रायबरेली में सियासत को लेकर रणनीति तैयार करती रही. लेकिन सपा के लिए रायबरेली की सीट मुफीद नहीं रही और पार्टी का वोट प्रतिशत यहां तेजी से गिरा तब सपा ने भविष्य को लेकर सोचा और 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देने लगा. नतीजा ये हुआ कि इस फैसले से कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी को फायदा हुआ. सपा के इस वॉकओवर से बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है.


सपा का वोट कांग्रेस को हुआ ट्रांसफर?


समाजवादी पार्टी रायबरेली सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारने से कांग्रेस को फायदा होता है. इससे सपा को वोट कांग्रेस को ट्रांसफर हो जाता है. ऐसे में कांग्रेस को बीजेपी प्रत्याशी को हराने में आसानी होती है. क्योंकि 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट में आठ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन सपा के चुनाव मैदान से हटने के बाद कांग्रेस को फायदा हुआ और इस तरह कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ा. सपा के चुनावी मैदान से दूर जाने की वजह से पिछड़ों का वोट कांग्रेस के लिए मददगार बना रहा. जिसेक बाद सोनिया गांधी ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा.


ये भी पढ़ें: AIMIM नेता ने खोल दी असदुद्दीन ओवैसी की पोल? कहा- यूपी में सिर्फ दिखावे के लिए चुनाव लड़ेगी पार्टी, हम देंगे इस्तीफा