UP Lok Sabha Chunav 2024:  सपा के पूर्व जिलाध्‍यक्ष नगीना प्रसाद साहनी ने समाजवादी पार्टी प्रत्याशी काजल निषाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्‍होंने काजल निषाद के प्रत्‍यायी बनने के दौरान भी उनकी प्रत्‍याशिता को लेकर आवाज उठाई थी. उन्‍होंने काजल को बार-बार प्रत्‍याशी बनाने पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी का जिक्र किया था. अब एक बार फिर उन्‍होंने काजल निषाद के बीमार होने पर शीर्ष नेतृत्‍व की ओर निगाह की है.


गोरखपुर के सपा के पूर्व जिलाध्‍यक्ष नगीना प्रसाद साहनी ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा कि उन्‍होंने एक सर्वे देखा था, जिसमें ये था कि प्रत्‍याशी बदला जा सकता है. क्‍योंकि ये मुख्‍यमंत्री का जिला है. उन परिस्थितियों में विपक्ष को लड़ना है. उनकी प्रत्‍याशी स्‍वस्‍थ नहीं हो पाएंगी, तो कहीं न कहीं राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व उस पर विचार कर सकता है. हालांकि वे पूरे विश्‍वास के साथ अभी ऐसा नहीं कह सकते हैं. क्‍योंकि नेतृत्‍व की ओर से ऐसा कोई विचार नहीं आया है. किन्‍हीं परिस्थितियों में मौका मिलता है, तो उन्‍हें तैयारी क्‍या करना है. उन्‍हें 25 साल से ऊपर हो गया है, लोगों के बीच जन-जन में जाकर उनके बीच में लड़ाई लड़ने और उनके साथ चलने का काम कर रहे हैं.


"शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों का करेंगे पालन" 
वे विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ के पदाधिकारी भी रहे हैं. अधिवक्‍ता होने के नाते उनकी लड़ाई भी लड़ रहे हैं. वे जहां संभव हो पा रहा है वो लड़ाई लड़ रहे हैं. जो शीर्ष नेतृत्‍व का दिशा-निर्देश होगा, उसका पालन करेंगे. वे शीर्ष नेतृत्‍व से कहना चाहते हैं कि जो चुनाव लड़े, वो जनता के बीच में होना चाहिए. जनता की उसे लड़ाई लड़ना चाहिए. लड़ने वाला ही अस्‍वस्‍थ हो जाएगा और जनता के बीच में नहीं चल पाएगा. ऐसे में इस पर नेतृत्‍व को विचार क‍रना चाहिए. क्‍योंकि मुख्‍यमंत्री के जिले में रहना है, तो 24 घंटे अलर्ट रहना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि, वे मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का आज ही बयान देख रहे थे. वे कह रहे थे कि जो गलत करेगा, तो उसे जहन्‍नुम में पहुंचा देंगे. तो आज बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती है. स‍ंविधान दिवस है. देश के लोग मानते हैं कि संविधान का राज है.


उन्होंने कहा कि, ये सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है. सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश का सबसे बड़ा हमारा संविधान है. मुख्‍यमंत्री का बयान है कि जहन्‍नुम में पहुंचा दूंगा. पूरे देश और दुनिया जानती है कि जहन्‍नुम में पहुंचाने का काम न्‍यायालय का है. न्‍यायालय इस पर निर्णय लेता है लेकिन यहां मुख्‍यमंत्री का बयान है. इसका मतलब है कि भारत या उत्‍तर प्रदेश में जहां के वे मुख्‍यमंत्री हैं, वहां कानून का राज नहीं रह गया है. यहां संविधान का राज नहीं रह गया है. ऐसे में हमारा जो भी प्रत्‍याशी हो, वो विपक्ष में हैं ऐसे लोगों से उन्‍हें लड़ना है, जिनकी नजर में संविधान कुछ भी नहीं है. वे सीधे जहन्नुम में पहुंचाने की बात कर रहे हैं. सीधे लोगों का उत्‍पीड़न कर रहे हैं. ऐसे में कहीं न कहीं उनका प्रत्‍याशी जनता के बीच में होना चाहिए. उसे जनता की लड़ाई लड़ना चाहिए.


नेतृत्‍व से जरूर कहना चाहेंगे कि उनकी प्रत्‍याशी चलने में सक्षम नहीं हैं, तो निश्चित रूप से इस पर विचार किया जाना चाहिए. क्‍योंकि समय भी नहीं बचा है. ऐसे में विचार करते हुए ऐसे व्‍यक्ति को आना चाहिए, जो जनता के बीच में चलकर भाजपा के द्वारा जो पीडि़त आंसू बहा रहे हैं, उनके आंसुओं को पोछ सके. उनके बीच चल सके. ऐसा प्रत्‍याशी होना चाहिए. गोरखपुर के डा. विजाहत करीब का बयान उन्‍होंने देखा था, उन्‍होंने कहा था कि हार्ट अटैक नहीं है. इसकी संभावना को देखते हुए उन्‍होंने मेदांता रेफर किया है. कुछ बीमारी रही होगी, तभी उन्‍हें रेफर किया गया है, लेकिन मेदांता की रिपोर्ट उनके पास नहीं है. इसके बारे में एक्‍सपर्ट चिकित्‍सक ही बता पाएंगे.


"देर रात भी करता हूं जनता की मदद" 
वे समाजवादी सिपाहीं है. वे जनता के बीच काम किए हैं. दो बजे रात में भी फोन आता है, तो अधिकारियों को फोन करके उनकी मदद करते हैं. हादसे में किसी के घायल होने की सूचना आने पर वे रात-दिन अस्‍पताल में किसी भी समय लोगों के बीच रहते हैं. उनका नेतृत्‍व आदेश करेगा, तो वे उसका पालन करेंगे. वे निषाद समाज का झंडा तो पहले से बुलंद करते आए हैं. इसके साथ भी सभी समाज के लोगों के साथ वे खड़े रहते हैं. हर जाति के लोग उनके साथ खड़े हैं. निषाद समाज के लोगों के लिए अंतिम सांस तक खड़े हैं, लेकिन सर्वसमाज के साथ वे खड़े हैं.


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