Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की राजनीति एकदम बदली हुई नजर आ रही है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बीजेपी (BJP) को सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि देशभर में रोकने की रणनीति पर काम कर रहे हैें. पिछले कुछ दिनों में अगर सपा अध्यक्ष की राजनीति पर गौर किया जाए तो ये देखने को मिलेगा कि वो इन दिनों यूपी से बाहर जाकर ऐसे नेताओं से दोस्ती बना रहे हैं जो गैर कांग्रेसी (Congress) हैं और बीजेपी (BJP) के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश में हैं. हालांकि फिलहाल इसकी तस्वीर साफ नहीं है लेकिन ये एक ऐसे मोर्चे की सुगबुगाहट हो जो गैर कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ बनता दिख रहा है.


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अब यूपी से बाहर जाकर राजनीति करते दिख रहे हैं. उनकी नजर दक्षिण भारत के राज्यों पर भी है. गौर से देखें तो उनके दोस्तों में ज्यादातर ऐसे नेता हैं जो न कांग्रेस और न ही बीजेपी के साथ हैं. यही नहीं उनकी नजर दक्षिण के राज्यों पर भी टिकी हुई है. शुरुआत हाल ही अखिलेश यादव और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बीच हुई मुलाकात से करते हैं. वैसे तो ये मौका था स्टालिन के जन्मदिन का लेकिन अखिलेश यादव उनसे मिले चेन्नई पहुंच गए. यही नहीं यहां उन्होंने स्टालिन को लेकर बड़ा बयान दिया और कहा कि वो खुद को राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ा रहे हैं मुझे उम्मीद है ऐसे जरुर होगा. 


अखिलेश यादव की रणनीति में बदलाव


इससे पहले अखिलेश यादव तेलंगाना में मुख्यमंत्री केसीआर की विशाल रैली में भी शामिल हुए थे. इस रैली में मंच पर उनके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद थे. केसीआर भी लगातार खुद को नेशनल राजनीति में आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. 


अखिलेश यादव सिर्फ दक्षिण भारत ही नहीं वो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गुड लिस्ट में भी शामिल हैं. यूपी विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने उनके समर्थन में चुनावी रैली भी की थी. यही नहीं अखिलेश कई बार शरद पवार का नाम भी ले चुके हैं. पिछले दिनों जब मनीष सिसोदियों को गिरफ्तार किया गया तो अखिलेश ने उनके समर्थन में ट्वीट भी किया था. 


गैर कांग्रसी और गैर बीजेपी नेताओं पर नजर


अखिलेश यादव के गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी दोस्ती यहीं तक नहीं है. इस लिस्ट में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम भी शामिल हैं. नीतीश कुमार का झुकाव भी अखिलेश यादव के प्रति देखा जा सकता है और तेजस्वी यादव भी उनके साथ ही दिखाई देते हैं. बिहार में जिस तरह तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना के मुद्दे को आगे बढ़ाया है उसी तर्ज पर अखिलेश भी यूपी में जातीय जनगणना के मुद्दे को उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसके जरिए वो ओबीसी राजनीति को मजबूत करते दिखाई दे रहे हैं.


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