UP News: 'मोहब्बत और नफरत की दो दुकानों के बीच फंसा मुसलमान', बोले आमिर रशादी
Rashtriya Ulama Council Foundation Day: 15वें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के सम्मेलन पर मौलाना आमिर रशादी ने हुंकार भरते हुए बीजेपी और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.
Lok Sabha Election 2024: राष्ट्रीय उलेमा कांउसिल (Rashtriya Ulama Council) ने राजधानी लखनऊ (Lucknow) में 4 अक्टूबर को 15वें स्थापना दिवस के मौके पर शक्ति प्रदर्शन किया. हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय उलेमा कांउसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने गरीबों, शोषितों, वंचितों, मुसलमानों, दलितों, पिछड़ों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि आंदोलन की कोख से जन्म लेने वाली राष्ट्रीय उलेमा कांउसिल अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध लोगों की आवाज बन कर उभरी है. राजनीति में आने का मकसद सत्ता लोभ नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन है.
राष्ट्रीय उलेमा कांउसिल का सम्मेलन
उन्होंने कहा कि 15 वर्षों में हमने साबित किया है कि आज भी ईमानदारी और सिद्धान्तों के आधार पर राजनीति की जा सकती है. हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता संग्राम में प्राणों की आहुति दी थी. स्वतंत्रता प्राप्ति का उद्देश्य स्वराज्य, संविधान, समता और समानता का राज स्थापित करना था. अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में आम नागरिक को पीने का साफ पानी भी सभी दल मिलकर उपलब्ध नहीं करा सके.
लोकसभा चुनाव के लिए भरी हुंकार
मौलाना आमिर रशादी ने कहा कि विकास के खोखले वादों की पोल खुलने पर देश में जातिवाद और सांप्रदायिकता की राजनीति का जहर घोल दिया. पीड़ित, शोषित, पिछडा़, वंचित, अल्पसंख्यक वर्ग डर और खौफ की राजनीति से वोटबैंक बना रहा. सबसे ज्यादा उत्पीड़न मुसलमानों का हुआ. पीढ़ी दर पीढ़ी को कथित सेकुलर दलों ने सांप्रदायिक पार्टी का भय दिखाकर गुलाम बनाए रखा. डराने की राजनीति से मुसलमानों का लोकसभा में प्रतिनिधित्व 49 से घटकर 24 पर आ गया. वहीं, 2 सीट वाली पार्टी 300 पर पहुंच गयी.
मौलाना रशादी ने कहा कि सेकुलरिज्म का बोझ ढोते-ढोते आज भारत का मुसलमान राजनैतिक और समाजिक रूप से अछूत बन गया है. मुसलमानों का वोट सभी को चाहिये लेकिन अधिकार दिलाने में साथ कोई खड़ा नहीं होना चाहता. मुसलमानों को हिस्सेदारी और भागीदारी देने के लिए बीजेपी का ‘एनडीए‘ गठबंधन तैयार नहीं है. विपक्षी दलों का गठबंधन 'इंडिया' भी राजी नहीं है. ऐसे में बीजेपी के ‘मुसलमान मुक्त‘ इंडिया और कांग्रेस के ‘मुसलमान मुक्त‘ इंडिया में फर्क क्या है?
बीजेपी कांग्रेस पर निशाना
उन्होंने कहा कि एक ‘मुसलमानों को डर‘ दिखाकर मोहब्बत की दुकान चला रहे हैं, दूसरे ‘मुसलमानों का डर‘ दिखाकर नफरत की दुकान चला रहे हैं. मुसलमान दोनों दुकानों के बीच वजूद, पहचान, पहनावे, पकवान और सम्मान को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. कल तक मुसलमानों को सड़क और चौराहों पर जो गालियां दी जाती थीं, आज सबका साथ-सबका विकास की बात करने वाले संसद में गालियां दे रहे हैं और बेशर्मी से ठहाके भी लगा रहे हैं. एक नेता के लिए संसद को ठप कर देने वाले कथित सेकुलर दल पूरे मुस्लिम समाज की बेइज्जती पर केवल जुबानी जमा खर्च तक सीमित है.