लखनऊ, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर करीब-करीब साफ हो चुकी है। एनडीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। 2019 के चुनाव में भी विपक्षी दलों की हालत खराब है। कांग्रेस समेत कोई भी पार्टी 55 के आंकड़े को पार करने में असफल दिख रही है। दोपहर 12 बजे तक के रुझानों पर गौर करें तो... एनडीए ने 2014 के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ डाला है। 542 सीटों के रुझान आ गए हैं जिसमें एनडीए 325 से आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस गठबंधन 100 से भी कम है। अन्य की झोली में 100 से ज्यादा सीटें जाती दिख रही हैं। बीजेपी अकेले दम पर 292 और कांग्रेस 50 सीटों पर जीत दर्ज करती हुई दिख रही है। बीजेपी की जीत के क्या कारण रहे चलिए इसपर एक नजर डालते हैं।



राष्ट्रवाद


चुनाव की घोषणा से करीब एक महीने पहले 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले से देश आहत था। पाकिस्तान पर हमले की मांग उठ रही थी। तभी 26 फरवरी की रात को एक गुप्त ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी जमीन पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए हमला कर दिया। 250 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर देशभर में फैली (आधिकारिक बयान नहीं)। बीजेपी ने इसे खूब भुनाया, इसके ठीक बाद भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन वर्दमान की सुरक्षित वतन वापसी ने जनभावनाओं को मोदी सरकार के पक्ष में ला दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के नेताओं ने हर रैली में इसका जिक्र करना शुरू किया। यही नहीं 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद तब की कांग्रेस सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए गए।


बीजेपी का धुआंधार प्रचार


लोकसभा चुनाव के एलान से पहले ही बीजेपी चुनावी मोड पर ही काम कर रही थी। लेकिन चुनावों की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 150 रैलियां और रोड शो किये। सिर्फ पीएम मोदी ने ही नहीं बल्कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य स्टार प्रचारकों ने भी प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। सभी रैलियों और रोड शो को मिला दिया जाए तो देशभर में इसकी संख्या 1000 से अधिक हो जाती है। बीजेपी की रैलियों में विपक्षियों खासकर कांग्रेस पर हमले के साथ राष्ट्रवाद, प्रधानमंत्री पद का चेहरे और पांच साल की योजना जैसे मुद्दे हावी रहे। बीजेपी यह बताने में सफल रही कि मोदी के बिना बालाकोट एयर स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक संभव नहीं थी।



मोदी नहीं तो कौन...


2019 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने 'मोदी नहीं तो कौन?' यानि कि विपक्ष के पास प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है का मुद्दा उठाया। बीजेपी-एनडीए हर एक लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगे। जिस सीट पर उम्मीदवार कमजोर भी थे वहां भी बीजेपी ने पीएम मोदी के नाम पर वोट करने की अपील की। बीजेपी ने यह बताने की कोशिश की कि विपक्ष मोदी को हराने के लिए एकजुट हो रहा है। बीजेपी की तरफ से प्रचार पर पूरा जोर लगाया गया जिसका असर नतीजों में देखने को मिल रहा है। मोदी के खिलाफ विपक्षी पार्टियां चुनाव परिणाम बाद चेहरे पर फैसले की बात कहती रही। 2019 के चुनाव में विपक्षी पार्टियां मतदाताओं को समझाने में विफल रही।


महंगाई और भ्रष्टाचार


2019 में देखें तो आम जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले दो मुद्दे महंगाई और भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं बन पाया। चुनाव से कुछ महीने पहले बढ़े पेट्रोल की कीमतों को छोड़ दें तो मोदी सरकार को महंगाई के आक्रोश का सामना नहीं करना पड़ा। सरकार ने दावा किया कि उसके कार्यकाल में महंगाई पूरी तरफ नियंत्रण में रहा, कलाबाजारियों पर नकेल कसी गई, जिसका असर चुनाव में साफ दिखाई दिया। यहां ध्यान रहे कि साल 2010 में कांग्रेस की सरकार में महंगाई दर करीब 12 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। मोदी सरकार में इसमें बेहद कमी आई और यह करीब 4 प्रतिशत पर रुका रहा।


भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में सफल नहीं रही कांग्रेस


आम मतदाताओं को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाला भ्रष्टाचार जैसा मुद्दा भी निष्प्रभावी रहा। 2014 के चुनाव में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा था। इस बार के चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और इसे मुद्दा बनाने की कोशिश जरूर की लेकिन इसमें वह सफल नहीं दिखे। इस मुद्दे पर पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सरकार को क्लीनचिट दी, लेकिन बीजेपी ने इस फैसले को सभी आरोपों में क्लीनचिट का दावा किया और वह आक्रामक ढ़ंग से जनता के बीच गई। राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' वाले नारे को 'मैं भी चौकीदार' कैंपेन से जवाब दिया। बीजेपी यहीं नहीं रुकी। राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट को कोट करते हुए पीएम मोदी के लिए 'चौकीदार चोर है' कहा। बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गईं, बाद में राहुल गांधी को माफी तक मांगनी पड़ी।



योजनाओं का प्रचार


मोदी सरकार ने आम लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाली चार योजनाओं का जिक्र खूब किया। इसमें स्वच्छता अभियान, किसान सम्मान निधि योजना, सौभाग्य योजना और उज्जवला योजना शामिल है। चुनावी साल में मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की, इससे तहत किसानों को सालाना छह हजार रुपये दिये जा रहे हैं। चुनाव से पहले ज्यादातर किसानों को 2-2 हजार रुपये की दो किश्त दी गई। इस योजना से किसानों की नाराजगी दूर हुई। इसकी तुलना में कांग्रेस ने न्याय योजना लाने का दावा किया, लेकिन जनता को प्रभावित करने में असफल रही।