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स्मृति ईरानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने गुरुवार को अपना नामांकन भरा। नामांकन भरने के बाद एक बार फिर से स्मृति ईरानी के साथ नया विवाद जुड़ गया है। उन्होंने अपने नामांकन हलफनामे में खुद को 12वीं पास बताया है। जबकि साल 2014 में स्मृति ईरानी ने अपने हलफनामे में खुद के ग्रेजुएट होने की बात कही थी। कांग्रेस ने उनके शैक्षणिक योग्यता पर 'क्योंकि मंत्री भी कभी ग्रेजुएट थी' कहकर चुटकी ली है।

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मोदी सरकार जब साल 2014 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई तो स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी गई और इसके बाद उन्हें कपड़ा मंत्रालय सौंपा गया। राजनीति में आने से पहले स्मृति 'तुलसी' के तौर पर घर-घर में प्रसिद्ध थी। टेलीविजन धारावाहिक 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में 'तुलसी' उनका किरदार था। आइए स्मृति ईरानी से जुड़े कुछ पुराने विवादों पर नजर डालते हैं...

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पहले विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब स्मृति ईरानी के 2004 एवं 2014 के शैक्षणिक योग्यता में अलग-अलग बात बताई गई। 2004 में स्मृति ईरानी ने एफिडेविट के जरिए दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट डिग्री में स्नातक होने की बात लिखी। इसमें कहा गया कि उन्होंने 1996 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉरस्पोडेंस से स्नातक की डिग्री ली है। लेकिन जब 2014 में स्मृति ईरानी अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रहीं थी तो उन्होंने 1994 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स पार्ट-1 में स्नातक होने की बात लिखी। साल 2019 में स्मृति ईरानी ने एक बार खुद को 12वीं पास बताया है। इस पर कांग्रेस ने उन पर तंज कसा है।

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स्मृति ईरानी के साथ दूसरा विवाद हैदराबाद यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या एवं जेएनयू मामले को लेकर जुड़ा। इन मामलों में स्मृति ईरानी विवादों में आई। रोहित वेमुला मामले में स्मृति ईरानी विपक्ष के साथ ही विद्यार्थियों के निशाने पर भी आईं। उन पर इन मामलों को सही से हैंडल न कर पाने के आरोप लगे और इसके बाद स्मृति को शिक्षा मंत्रालय से हटाकर कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई। रोहित वेमुला मामले में विपक्ष ने स्मृति ईरानी पर तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोप लगाए। जेएनयू में लगे नारों को लेकर भी स्मृति ईरानी विपक्ष के निशाने पर आईं। यही वक्त था जब ईरानी को 'आंटी नेशनल' तक कहकर संबोधित किया गया।

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स्मृति ईरानी को लेकर तीसरा विवाद पिछले साल उस वक्त जुड़ा जब केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर उन्होंने बयान दिया। स्मृति ईरानी के कहा- ‘पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का नहीं’। उनके इस बयान पर महिला संगठनों से लेकर दूसरे कई लोगों ने आपत्ति जताई। इस मामले में स्मृति ईरानी ने कहा था, ‘मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बोलने वाली कोई नहीं हूं, क्योंकि मैं एक कैबिनेट मंत्री हूं। लेकिन यह साधारण-सी बात है क्या कि आप माहवारी के खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे? आप ऐसा नहीं करेंगे।' क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? हालांकि इसके बाद इस मामले में स्मृति ईरानी की सफाई भी आई।

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स्मृति ईरानी से जुड़ा चौथा विवाद साल 2012 का है। एक टीवी डिबेट के दौरान कांग्रेसी नेता संजय निरूपम ने स्मृति ईरानी को अपशब्द कहे थे। इसके बाद दोनों ने ही एक-दूसरे पर मानहानि का दावा ठोक दिया। हालांकि बाद में कोर्ट ने स्मृति ईरानी को राहत दी और उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले को खारिज कर दिया। दरअसल, संजय निरुपम ने टीवी डिबेट के दौरान स्मृति ईरानी पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा था- आप पहले टीवी पर ठुमका लगाती थी और अब भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक विश्लेषक बन गई हैं। इसके बाद यह विवाद शुरू हुआ।

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बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने अपने ट्वीट में स्मृति ईरानी को 'डियर' लिखा। इसके बाद स्मृति ईरानी ने अपने फेसबुक पेज पर लंबी पोस्ट लिखकर उनको जवाब दिया और आखिर में खुद को 'आंटी नेशनल' लिखा। स्मृति ईरानी ने इस पोस्ट में खुद के परवरिश को याद किया और अशोक चौधरी की मानसिकता पर भी सवाल उठाए। स्मृति ने अपनी मेहनत से हासिल उपलब्धियों का जिक्र भी किया। अशोक चौधरी ने कहा था-डियर स्मृति ईरानी जी, कभी राजनीति और भाषण से वक्त मिले तो शिक्षा नीति की तरफ भी ध्यान दीजिए।