Lok Sabha Elections 2024: यूपी में BJP के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं ये 18 सीटें, जरा सा बदलाव बिगाड़ देगा पूरा समीकरण
सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, श्रावस्ती, आज़मगढ़, घोसी वो सीटें हैं जहां बीजेपी ने हार का स्वाद चखा था. हालांकि आज़मगढ़ और रामपुर को बाद में बीजेपी उपचुनाव में जीती थी.
BJP Muslim Voter Story: बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में यूपी से 80 में 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. लेकिन इन 80 सीटों में कई ऐसी भी है जहां मुस्लिम वोटर काफी बड़ी संख्या में है. यह बात पार्टी भी अच्छे से जानती है कि 80 सीट जीतने के लिए अल्पसंख्यक वोट बैंक को भी साधना होगा. इसके लिए पार्टी ने खास रणनीति तैयार की है जिसके तहत जल्द ही बड़ा अभियान चलाया जाएगा. बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा इसके लिए सूफी सम्मेलन कराने की तैयारी में है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी ऐसे कई सम्मेलन कराने की तैयारी कर रही है. इनके जरिये बड़े सूफ़ी स्थलों में मुसलमानों से जुड़ाव बनाने के लिए पार्टी काम करेगी.
उत्तर प्रदेश में देवा शरीफ जैसी बड़ी दरगाह है. जहां पूरी दुनिया से जायरीन आते हैं. यही नहीं अलग-अलग जिलों में और भी बड़े सूफी स्थल हैं, जिनकी पूरे भारत में मान्यता है. यहां सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि हिन्दू व अन्य धर्म के लोग भी आते हैं. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने बताया कि जो दरगाह है उनसे एक बड़ा वर्ग खुद को जोड़ कर रखता है. जो सूफी संत हैं वह इस देश की मूल परंपरा गंगा जमुनी तहजीब के सिंबल हैं. उनके पास जो लोग जाते, बैठते चर्चा करते हैं इन के माध्यम से योगी-मोदी सरकार की बातें लोगों तक पहुंचाएंगे. अंत्योदय की बात करेंगे. गरीब कल्याण जो पार्टी का लक्ष्य है, पसमांदा मुसलमानों के लिए हम काम कर रहे हैं, योजनाओं का लाभ दे रहे ये सब बात करेंगे. इन लोगों से कार्यक्रम करा कर लोगों को जोड़कर साथ चलने की तैयारी है.
इसके अलावा अल्पसंख्यकों को साधने के लिए एक अन्य रणनीति के तहत बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने करीब दो दर्जन ऐसी सीटें चयनित की है जहां अल्पसंख्यक वोटर काफी महत्वपूर्ण भूमिका में रहता है. इनमें कुछ सीटें ऐसी हैं जो बीजेपी 2019 के चुनाव में नहीं जीत पाई थी. इसके अलावा कुछ ऐसी सीटें भी हैं जो बीजेपी ने 2019 में जीत तो ली, लेकिन बहुत ही कम अंतर से. अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बासित अली ने बताया कि जो सीटें चयनित की हैं वहां अल्पसंख्यक वोटर 30 से 50 फीसदी तक है. ऐसी सीटों के लिए अलग से योजना बनाकर लाभार्थियों के माध्यम से बड़ी तादाद में अल्पसंख्यक तक पहुंच सकें यह हमारा टारगेट है. ऐसी प्रत्येक लोकसभा में कम से कम 5000 सक्रिय सदस्य बनाए जाएंगे जो बीजेपी के लिए काम करें, उनकी नीतियों को लोगों तक पहुंचाएं. इसके लिए इन लोकसभा सीटों पर विधानसभावार काम होगा.
2019 में बीजेपी की हारी वो सीटें जिन पर मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में है
सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, श्रावस्ती, आज़मगढ़, घोसी वो सीटें हैं जहां बीजेपी ने हार का स्वाद चखा था. हालांकि आज़मगढ़ और रामपुर को बाद में बीजेपी उपचुनाव में जीती थी.
वहीं कुछ सीटें ऐसी हैं जहां कमल तो खिला लेकिन जीत का अंतर कम रहा या जहां मुस्लिमों को साधकर पहले से बड़ी जीत मिल सकती. उनमें मुजफ्फरनगर (6,526), मेरठ (4,729), बागपत (17,546), फिरोजाबाद (28,781), बदायूं (18,384), कैराना (92,160), मोहनलालगंज (90,229), डुमरियागंज (1,05,321) शामिल है. बता दें कि ब्रैकेट में जीत के अंतर वाले वोट की संख्या है.