Uttarakhand News: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दल तैयरी में जुटे हुए हैं. इसी बीच बीजेपी और कांग्रेस भी चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं तो वहीं अब समाजवादी पार्टी भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. उत्तराखंड में सपा की नजर प्रदेश की मैदानी भूगोल वाली दो सीटों पर हैं, सपा इंडिया गठबंधन के साथ सीटों के बंटवारे के दौरान अपना दावा प्रस्तुत करेगी. उत्तराखंड में सपा 5 सीटों में से 2 सीट लोकसभा की अपने खाते में मांग सकती है. इसको लेकर उत्तराखंड के सपा के नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से बात की है.


उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट पर 2004 में सपा ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर एक बार फिर से सपा अपने लिए दावेदारी कर सकती है तो वहीं उत्तराखंड की नैनीताल लोकसभा सीट पर भी अपने दावेदारी जाता सकती है. उत्तराखंड के नैनीताल लोकसभा सीट में ही सपा मुखिया अखिलेश यादव की ससुराल भी है. उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के कुंडेश्वरी में सपा मुखिया अखिलेश यादव की ससुराल है. इस सीट को भी सपा अपने खाते में मांग सकती है. इसको लेकर चर्चाएं तेज हो रही हैं तो वहीं इन चर्चाओं से कांग्रेस की चिंताएं बढ़ने लगी हैं. कांग्रेस के खाते में अगर मात्र तीन सीट आई हैं तो कांग्रेस इन तीन सीटों पर कैसे चुनाव लड़ेगी. यह अपने आप में सोचने वाली बात है.


उत्तराखंड के प्रमुख दो दल हैं बीजेपी और कांग्रेस


उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हो चली है ऐसे में उत्तराखंड के प्रमुख दो दल बीजेपी और कांग्रेस अभी से चुनाव की तैयारी में जुड़े हुए हैं तो वहीं I.N.D.I.A गठबंधन सीटों के बंटवारे को लेकर बैठक कर रहा है. उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से दो लोकसभा सीटों पर सपा अपनी दावेदारी कर सकती है. सपा हरिद्वार लोकसभा सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश कर सकती है और हरिद्वार का काफी हिस्सा उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है. 


कांग्रेस के लिए खड़ी होगी परेशानी


वहीं उत्तराखंड की दूसरी लोकसभा सीट नैनीताल लोकसभा सीट पर भी सपा अपनी दावेदारी कर सकती. इस लोकसभा सीट के अधिकांश हिस्से उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगे हुए हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस लोकसभा सीट के लिए भी अपनी दावेदारी कर सकती है. अब देखना यह होगा कि अगर I.N.D.I.A  गठबंधन के अनुसार साप इन दो सीटों पर अपने दावेदारी करती है तो कांग्रेस मात्र उत्तराखंड के तीन सीटों पर सिमट कर रह जाएगी और ऐसे में इन तीन सीटों पर अपना उम्मीदवारों को लड़ना और जितना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी.


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