Behraich Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश की बहराइच लोकसभा सीट भारत और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगी हुई है. ये सीट हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतीक गाजी की दरगाह की वजह से भी जानी जाती है. हर साल लाखों की संख्या में लोग यहां जियारत के लिए आते हैं. इस सीट पर इस बार भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है.
बहराइट लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इस सीट पर 23 जनवरी 2024 को प्रकशित की गयी मतदाता सूची के अनुसार कुल 18,25,673 वोटर हैं, जिनमें 9,53,553 पुरुष और 8,63,058 महिला वोटर हैं. इनमें 37 फ़ीसद मुस्लिम, 16 फ़ीसद अनुसूचित जाति, कुर्मी 8 फीसद, यादव 7 फीसद, ब्राह्मण 12 फीसद, क्षत्रिय 4 फीसद और अन्य 13 फीसद जातियां हैं.
बहराइच का सियासी समीकरण
बहराइच में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 3 सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा है, नानपारा की सीट अपना दल एस और मटेरा सीट पर सपा का विधायक है. साल 1989 से 1996 तक यहां भाजपा का कब्जा रहा. लेकिन, इसके बाद यहां कभी सपा, बसपा या कांग्रेस चुनाव जीतती रही. 2014 से अब तक यहाँ लगातार भाजपा जीतती आ रही है.
बीजेपी ने बहराइच लोकसभा सीट से अक्षयबर लाल का टिकट काटकर इस बार अरविंद गौड़ को टिकट दिया है तो वहीं सपा से रमेश गौतम मैदान में हैं. बसपा की ओर से बृजेश कुमार सोनकर को टिकट दिया गया है.
इन मुद्दों को लेकर परेशान लोग
बहराइच हमेशा से विकास के लिए तरसता रहा है. यहां पर बाढ़, बिजली स्वच्छ पेयजल अच्छी उच्च शिक्षा, एवं ग्रामीण इलाकों में सड़कों का विकास न होना ये हमेशा से जनपद वासियों को पिछड़ा होने का एहसास करवाता है. हालंकि हर बार चुनाव जीतने वाला इन सभी मूलभूत मुद्दों की बात तो करते हैं लेकिन चुनाव के बाद सारी बातें भूल जाते हैं.
इस इलाके में 550 वर्ग किमी में फैला कतरनियाघाट का जंगल लाखों की आबादी वाले ग्रामीणों के सामने मुसीबत बनकर खड़ा है, जिसकी वजह यहां जंगली जानवरों का हमेशा ख़तरा बना रहता है. बारिश के समय में यहां के लोगों बाढ़ का सामने करना पड़ता है. बेरोजगारी और महंगाई यहां के लोगों के लिए एक बड़ा मुद्दा है. जिनका इस बार चुनाव पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है. बहराइच में चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग होगी.
BJP के लिए आसान नहीं होगी अपने गढ़ में जीत! इन 2 विधानसभाओं की वजह से बढ़ी मुश्किल