UP News: आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) की तैयारियों में जुटी बहुजन समाज पार्टी (BSP) एक बार फिर से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों पर फोकस करने जा रही है. बीएसपी ने अपने कैडर वोट को जोड़ने के लिए दलित बहुल क्षेत्रों में काम करने की रूपरेखा तैयार की है. पार्टी अपने सोशल इंजीनियरिंग के साल 2007 के फॉर्मूले पर दोबारा से भरोसा करते हुए आगे बढ़ने की रणनीति बना रही है.
बीएसपी साल 2007 में सत्ता में आई थी लेकिन उसके बाद से लगातार पार्टी का वोट खिसकता जा रहा है. पिछले 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सिर्फ 1 करोड़ 18 लाख वोट मिले और बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट पर मिली एकमात्र जीत से ही संतोष करना पड़ा. यूपी में दलित वोटरों की संख्या आज की स्थिति में लगभग 3 करोड़ है. मूल रूप से बीएसपी के कोर वोटर के तौर पर माने जाने वाले ये मतदाता धीरे-धीरे कर खिसकते जा रहे हैं. पिछले दिनों घोसी में हुए उपचुनाव में बीएसपी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था. हालांकि, बीएसपी ने नोटा दबाने की अपील की थी लेकिन पार्टी का वोट दूसरी जगह शिफ्ट हुआ.
कैडर कैंप के जरिए सर्व समाज पर फोकस
बीएसपी अलग-अलग क्षेत्र में कैडर कैंप का आयोजन कर रही है. इसके जरिए वो सर्व समाज के फॉर्मूले पर फोकस करना चाहती है. इस फॉर्मूले के तहत बसपा आर्थिक रूप से कमजोर तबके को जोड़ने के लिए प्रयासरत है. पदाधिकारियों को लक्ष्य दिए जा रहे हैं. बीएसपी के गांव चलो अभियान में इस वर्ग पर विशेष ध्यान रखा जाएगा. पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग योजना बना रही है. बीएसपी इस वक्त कैडर कैंप के जरिए दलित बस्तियों में भी कैंप कर रही है. इसके साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग से कार्य योजना भी बना रही है. इसी कैंप के तहत बसपा युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के साथ-साथ गरीब सवर्णों पर भी फोकस कर रही है.
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