UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बख्शने के मूड में नहीं अखिलेश यादव? रालोद के साथ मिलकर सिखाएंगे सबक
UP Lok Sabha Chunav 2024: यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल अपनी रणनीतियां तैयार कर रहे हैं.
UP Lok Sabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव बीत गए हैं और अब वहां मतगणना का इंतजार है. एमपी चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के विवाद पर सभी का ध्यान गया. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी और चुटकियों के जरिए सपा-कांग्रेस के रिश्ते के साथ ही I.N.D.I.A. अलायंस पर टिप्पणी की.
कांग्रेस और सपा के रिश्तों में आई खटास के बाद कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि अगर बात नहीं बनी तो अखिलेश यादव, एमपी में फिर एक बार ताल ठोकेंगे. पूरे घटनाक्रम से वाकिफ नेताओं का दावा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में अगर कांग्रेस ने किसी किस्म की नई शर्त रखी तो हम एमपी में लोकसभा चुनाव के दौरान वही करेंगे जो विधानसभा चुनाव में किया.
MP में लोकसभा चुनाव भी लड़ेगी सपा?
सपा की रणनीति है कि अगर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन के लिए कुछ अलग शर्तें रखीं तो वह मध्य प्रदेश की उन सीटों पर आक्रामक चुनाव लड़ेगी जिनकी सीमाएं यूपी से सटती हैं. दीगर है कि अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा ने एमपी ने आक्रामक चुनावी प्रचार किया था.
हालांकि सपा की सारी रणनीति फिलहाल 3 दिसंबर को चुनावी फैसले पर टिकी हुई है. पार्टी के नेताओं का मानना है कि अगर वह राज्य में इस स्थिति में आती है कि वह कांग्रेस से लोकसभा चुनावों में तोलमोल कर सके तो बिल्कुल करेगी और एमपी में हुए विवाद का बदला अपने अंदाज में लेगी.
RLD को मिलेगा सपा का साथ!
यूपी के संदर्भ में एक ओर जहां अखिलेश यादव I.N.D.I.A. से ज्यादा PDA पर जोर दे रहे हैं और कांग्रेस भी सभी 80 सीटों पर तैयारी की बात कर रही हैं, ऐसे में दोनों दलों के गठबंधन को लेकर कई सवाल हैं. यूपी में सपा ही नहीं बल्कि जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकदल भी कांग्रेस का इंतजार कर रही है.
राजस्थान में जयंत भी 4-5 सीटें मांग रहे थे लेकिन पार्टी ने सिर्फ 1 सीट ही दी. अब चूंकि एमपी में चुनाव बीत गए हैं और राजस्थान नें 25 नवंबर को वोटिंग है. इसके बाद सभी को मतगणना का इंतजार है, ऐसे मे यूपी में कांग्रेस और सपा के रिश्ते का ऊंट किस करवट बैठेगा यह जवाब वक्त के पास है. साथ ही इस रिश्ते में रालोद की भूमिका भी अहम होगी.