Lok Sabha Elections 2024: यूपी में सियासत की विरासत को आगे बढ़ा रहीं बेटियां, अपने कंधों पर उठाई है जिम्मेदारी
Lok Sabha Elections 2024: सुरक्षित सीट मछलीशहर से समाजवादी पार्टी ने अधिवक्ता प्रिया सरोज को टिकट दिया है. ये तीन बार के सांसद और वर्तमान 2022 में मछलीशहर की केराकत से विधायक तूफानी सरोज की बेटी हैं.
Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों की बेटियां अपनों की सियासत की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. किसी ने अपने माता पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी अपने कंधों पर उठाई है तो कोई खुद चुनावी मैदान में उतर कर परिवार का मान सम्मान बढ़ाने में लगी हैं. इस मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) अन्य पार्टियों से आगे है. सपा ने बेटियों को लोकसभा का टिकट देकर उन पर अपना विश्वास जताया है. प्रस्तुत है कुछ प्रमुख बेटियों का राजनीतिक सफर :
पूर्व केंद्रीय इस्पात मंत्री और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे बेनी वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा को समाजवादी पार्टी ने गोंडा से टिकट दिया है. गोंडा के पड़ोसी जिला बाराबंकी की रहने वाली श्रेया ने स्कूली पढ़ाई वेल्हम गर्ल्स स्कूल देहरादून से की है. दिल्ली के रामजस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स करने वाली श्रेया वर्मा ने राजनीति की शिक्षा अपने बाबा और पिता से ली है. उन्होंने ही इन्हें बारीकियों को सिखाया है. श्रेया के पिता राकेश वर्मा भी विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं. वह कुछ साल पहले सपा में आईं. उन्हें महिला सभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया. 2022 के चुनाव में अपने पिता राकेश वर्मा के प्रचार की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर थी. इसी अनुभव के बल पर वह गोंडा से अपना भाग्य आजमा रही हैं. उनके खिलाफ भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह चुनाव मैदान में हैं.
सुरक्षित सीट मछलीशहर से समाजवादी पार्टी ने अधिवक्ता प्रिया सरोज को टिकट दिया है. ये तीन बार के सांसद और वर्तमान 2022 में मछलीशहर की केराकत सीट से विधायक तूफानी सरोज की पुत्री हैं. कानून की पढ़ाई करने वाली प्रिया ने अब लोकसभा का रास्ता अख्तियार करने के लिए राजनीति का रास्ता चुना है.
दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल से 12वीं तक और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में ग्रेजुएशन करने वाली प्रिया सरोज ने 2022 में लॉ की पढ़ाई पूरी कर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वे शुरू से ही पिता के साथ राजनीति में सक्रिय रहीं हैं. यह दावा भी कर रहीं हैं कि वे संविधान बचाने के लिए चुनाव लड़ रहीं हैं. इनका कहना है कि राजनीति में महिलाओं को आगे आना चाहिए. अपने अधिकारों को समझने की जरूरत है. जब तक वह आगे नहीं आएंगी, तब तक उन्हें उनके हक के बारे में पता नहीं चलेगा.
भाजपा पर हमलावर प्रिया कहती हैं कि ईडी और सीबीआई का डर दिखाकर भाजपा विपक्ष को परेशान कर रही है. पश्चिमी यूपी की कैराना लोकसभा सीट से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन को सपा ने चुनाव मैदान में उतारा है. इकरा हसन पिछले कई सालों से कैराना क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हैं. वह पूर्व सांसद तबस्सुम हसन की बेटी हैं और कैराना से सपा विधायक नाहिद हसन उनके बड़े भाई हैं. लंदन की यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा हासिल करने वाली इकरा हसन ने वर्ष 2022 में अपने भाई के जेल जाने के बाद उनके प्रचार की कमान संभाली थी और जितवाया भी.
इकरा हसन पूर्व में जिला पंचायत सदस्य पद पर अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं. इस बार वह कैराना से चुनाव मैदान में हैं. इनके खिलाफ भाजपा के प्रदीप चौधरी हैं. इनके क्षेत्र में पहले ही चरण में चुनाव हो चुका है और इनकी किस्मत ईवीएम में बंद हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं. मैनपुरी से यह उनकी दूसरी पारी है. इस बार उनकी बेटी अदिति यादव भी मां के लिए जनता के बीच जाकर वोट मांग रहीं हैं. अदिति के प्रचार-प्रसार से डिंपल यादव को मतदाताओं का काफी सपोर्ट मिल रहा है. अदिति बड़े बुजुर्गों से वोट की अपील कर रही हैं. अदिति यादव लंदन से पढ़ाई कर रही है. कभी मां के साथ तो कभी उनके बिना प्रचार कर रही है. इस दौरान उनके कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
डिंपल का कहना है कि मां-बेटी का रिश्ता एक दूसरे के सहयोग का होता है. इसी कारण मेरी बेटी यहां हमारा सहयोग करने आई है. गाजीपुर से पांच बार विधायक और दो बार सांसद बने सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने अपनी बेटी नुसरत अंसारी की भी राजनीति में एंट्री करा दी है, जो अपने पिता की जीत के लिए प्रचार करती देखी जा रही है. बीते दिनों शिव मंदिर में जाकर उन्होंने पूजा-अर्चना की. महिलाओं के साथ बैठकर कीर्तन भी किया.
अफजाल अंसारी का कहना है कि हमारी बेटियों में बहुत हौसला है. बेटियां किसी से कम नहीं हैं, बस उन्हें अवसर मिलने की जरूरत है. बताया जा रहा है कि अगर सपा उम्मीदवार को कोई कानूनी अड़चन आती है तो उनकी बेटी को यहां से उम्मीदवार बनाया जा सकता है.