Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले पीस पार्टी के प्रमुख मोहम्मद अयूब का बड़ा बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी का कोई दुश्मन नहीं हैं और अगले साल होने वाले चुनाव में वो एनडीए, इंडिया और बसपा किसी के भी साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार है. उनका ये बयान पिछले साल दिए गए बयान के एकदम उलट है, जिसमें उन्होंने बीजेपी को मुस्लिमों का दुश्मन बताया था और कभी समर्थन नहीं करने का एलान किया था.
मोहम्मद अयूब से जब उनके पुराने बयान को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बीजेपी और एनडीए दोनों अलग-अलग हैं. बीजेपी एनडीए का नेतृत्व करती है, जिसमें कई दल शामिल हैं. इस दौरान उन्होंने गठबंधन की सिर्फ एक शर्त रखी है कि जो भी दल या गठबंधन उन्हें चुनाव में कम से कम एक सीट देगा वो उसके साथ जाएंगे. उन्होंने कहा कि, मैं गुलाम बनने के बजाय किसी पार्टी का भागीदार या गठबंधन में शामिल होना पसंद करूंगा, हमारे लिए न कोई दुश्मन है न कोई अछूत है.
पीस पार्टी ने रखी ये शर्त
मोहम्मद अयूब ने कहा कि हमारे से एनडीए, इंडिया गठबंधन और बसपा सभी बराबर हैं. हम प्रदेश में अपनी स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं, दो-तीन जितनी सीटें हमें मिले, लेकिन कम से कम एक सीट तो मिलनी ही चाहिए, बिना सीट के कोई हिस्सेदारी नहीं है. भाजपा को लेकर पीस पार्टी के नेता ने कहा कि बीजेपी नहीं एनडीए हमारे लिए अछूत नहीं हैं. बीजेपी और एनडीए में फर्क है. उन्होंने कहा कि हमारी रणनीति एकदम साफ है, हम चाहते हैं कि सत्ता में हमारी हिस्सेदारी हो हम सिर्फ वोट बैंक न बनें.
पीस पार्टी ने यूपी में स्थिति
गोरखपुर के सर्जन और पसमांदा मुस्लिम समाज से आने वाले मोहम्मद अयूब ने बताया कि अभी तक उनसे किसी पार्टी ने संपर्क नहीं किया है, लेकिन उनकी रणनीति एकदम साफ है. मोहम्मद अयूब ने साल 2008 में पीस पार्टी का गठन किया. 2009 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई और एक प्रतिशत वोट मिला था. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने अपना दल के साथ गठबंधन किया और 403 में से 4 सीटें जीतीं. वो कुद संत कबीर नगर जिले के खलीलाबाद विधानसभा सीट से जीते थे. 2017 में उनका खाता नहीं खुल पाया लेकिन 1.56 फीसदी वोट मिले. 2022 में उनका वोट शेयर गिरकर 0.59 प्रतिशत हो गया.
माना जा रहा है कि लगातार चुनावों में हार और गिरते वोट प्रतिशत को देखते हुए पीस पार्टी ने रणनीति में बदलाव किया है. अगर पीस पार्टी एनडीए में शामिल होती हैं, तो इससे भाजपा को फायदा हो सकता है, जो 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पसमांदा मुसलमानों को लुभाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी की नजर पसमांदा वोटरों पर है. बीजेपी इन्हें लुभाने के लिए कई कार्यक्रम भी करती रही है.