UP Lok Sabha Elections 2024: अमिताभ बच्‍चन की 80 के दशक में आई फिल्‍म कुली और गोविंदा की 90 के दशक में आई फिल्‍म कुली नंबर वन खूब ब्‍लॉक बस्‍टर रही. इन दोनों फिल्‍मों ने जहां कुलियों के जीवन और उनकी समस्‍याओं को सामने लाया, तो वहीं बिल्‍ला नंबर 786 और 1 लोगों के जेहन में बस गया. साढ़े पांच दशक पहले बनी फिल्‍म कुली के बाद अलग-अलग पार्टियों ने भी कुलियों से खूब वादे किए और उन्‍हें वोट बैंक समझकर राजनीतिक रोटियां सेंकने के बाद उन्‍हें भूल गए. 2024 के लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के ठीक पहले हम इन कुलियों के पास पहुंचे, तो उनका दर्द फूट पड़ा. वे चाहते हैं कि उन्‍हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा और अन्‍य अधिकार मिलें. वे विकास के नाम पर वोट देंगे.


गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन को दुनिया के सबसे लंबे प्‍लेटफार्म के लिए पहचान मिली, तो यहां के क‍ुलियों को लगा कि उनके भी दिन बहुरने वाले हैं. उनकी आंखों में उम्‍मीद की चमक दिखने लगी. 80 के दशक में आई फिल्‍म का बिल्‍ला नंबर 786 और 90 के दशक में आई फिल्‍म कुली नंबर 1 का बिल्‍ला तो इन कुलियों के पास नहीं है, लेकिन साल दर साल नंबर बदलते गए और साढ़े पांच दशक बीत गए. जब कुली फिल्‍म आई थी, तो इनमें से कईयों के बाल काले थे. जो अब सफेद हो गए हैं. अमिताभ बच्‍चन का किरदार उनके जेहन में आज भी ताजा है. गोविंदा की फिल्‍म कुली नंबर वन भी इन्‍हें अच्‍छी तरह याद है. इसके साथ ही ये भी याद है कि इन बीते पांच दशकों में कितनी ही राजनीतिक पार्टियों और सरकारों के जनप्रतिनिधियों ने आकर उनसे कितने ही वायदे किए, लेकिन पूरे नहीं किए. उन्‍हें वोट बैंक की तरह इस्‍तेमाल किया और फिर भूल गए.


कुलियों ने लालू प्रसाद यादव की तारीफ


गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन पर लोगों का बोझ उठाने वाले कुल‍ी कहते हैं कि जब लालू प्रसाद यादव रेलमंत्री थे, तो उन्‍हें अधिकार मिले थे. उन्‍हें चतुर्थ श्रेणी का पद मिला था. वे आज भुखमरी का श‍िकार हो गए हैं. दिनभर में दो-चार यात्रियों का सामान मिलता है. आज अत्‍याधुनिक सुविधा की वजह से लोग अपना सामान खुद ले जाते हैं. ये दुनिया का सबसे लंबा प्‍लेटफार्म है, लेकिन उनका हाल बेहाल है. वे लोग चलता फिरता पूछताछ केन्‍द्र बनकर रह गए हैं.


रेलवे का विकास हुआ, लेकिन उनका विकास नहीं हुआ. महंगाई के इस दौर में 40 किलो वजन पर उन्‍हें 90 रुपए दिहाड़ी मिलती है. दिनभर में कभी 200 तो कभी 150 रुपए कमा पाते हैं. कभी फांके में भी दिन काटने पड़ते हैं. लेकिन उनका कोई पुरसाहाल लेने वाला नहीं है. वे भुखमरी का शिकार हो गए हैं. बिल्‍ला उनकी पहचान तो है, ल‍ेकिन ऐसी पहचान का क्‍या फायदा है. वे ऐसी सरकार चाहते हैं, जो उन्‍हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दे.


कुली कहते हैं कि उन्‍हें वो सारी मूलभूत सुविधाएं मिले, जिसकी उन्‍हें दरकार है. वे कहते हैं कि जब योगी आदित्‍यनाथ सांसद थे, तो उन लोगों से कई बार मुलाकात करते थे. उनकी समस्‍याओं को सुनते थे. रविकिशन जबसे सांसद बने हैं, उन लोगों का हाल लेने नहीं आए. एक बार ट्रेन से सफर करने के दौरान वे लोग उन्‍हें देखे थे. यहां काम करने वाले कुली राहुल गांधी से काफी इंस्‍पायर हैं. वे कहते हैं कि राहुल ने कुलियों से मुलाकात की. उनका बोझ उठाने में मदद भी की. वे उनके सरकार बनने पर उनकी सारी मांगों को पूरा करने का वादा किए हैं. वे नायक हैं, लेकिन मोदी पूरी दुनिया की नायक हैं. उन्‍हें निजीकरण खत्‍म करना चाहिए.


रेलवे कर्मचारी नेता ने क्या कहा?


रेलवे के कर्मचारी नेता विनोद राय कहते हैं कि उन्‍होंने इन कुलियों की आवाज को हमेशा बुलंद किया है. उनके साथ खड़े रहे हैं. वे ऐसी सरकार चाहते हैं, जो इनकी बात को सुने. जैसा फिल्‍मों में दिखाया गया था, वैसा बिल्‍कुल भी नहीं है. यहां पर इनके स्‍टेशन पर ठहरने के लिए व्‍यवस्‍था भी ठीक नहीं है. शौचालय और बेड भी नहीं है. वे दरी पर सोते हैं. किराए पर जाकर अगल-बगल कमरे लेकर रहने जमीन पर सोने को मजबूर हैं. जिस‍ दिन इनकी मदद करते हैं, तो उन्‍हें रात में नींद अच्‍छी आती हैं. वे उनके साथ बैठकर खाना खाते हैं. इनके जीवन में कोई बदलाव आया है. सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए.


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