UP Politics: कांग्रेस के लिए 'संकटमोचन' बनेंगे पूर्व सांसद रवि प्रकाश वर्मा? अखिलेश यादव की बढ़ सकती है टेंशन
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले लखीमपुर खीरी के एक बड़े नेता और कुर्मी वोट बैंक में पकड़ रखने वाले रवि प्रकाश वर्मा के सपा छोड़ने पर समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है.
UP News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद रहे रवि प्रकाश वर्मा का कांग्रेस थामने की अटकलें तेज हो गई हैं. कांग्रेस पार्टी के लोग अंदर खाने इस बात को कबूल कर रहे हैं कि रवि प्रकाश वर्मा के उनके साथ आने से एक बड़े कुर्मी वोट बैंक को साधने में वो कामयाब हो सकेगी. समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में से रहे रवि प्रकाश वर्मा ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा देते समय पार्टी के भीतर की अंतर कलह की बात कही है.
लोकसभा चुनाव से पहले लखीमपुर खीरी के एक बड़े नेता और कुर्मी वोट बैंक में पकड़ रखने वाले रवि प्रकाश वर्मा के सपा छोड़ने पर समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है. सूत्रों के अनुसार रवि प्रकाश वर्मा कांग्रेस का दामन 6 तारीख को थाम सकते हैं. पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कुर्मी वोट बैंक को साधने की एक बड़ी रणनीति के तहत इसको देखा जा रहा है.
इन सटों पर है कुर्मी वोटर का दबदबा
रवि प्रकाश वर्मा की पहचान कुर्मी के दिग्गज नेताओं में होती थी. उनके समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ने के साथ कांग्रेस में आने पर कांग्रेस को खीरी के साथ-साथ आसपास की कई लोकसभा सीटों पर असर पड़ेगा. लखीमपुर के साथ साथ साथ धरोहरा, हरदोई, शाहजंहापुर जैसे सीटें ऐसी हैं जहां लोकसभा में कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. सिर्फ खीरी लोकसभा की बात की जाए तो वहां करीब पिछड़े की 35% आबादी में कुर्मी की संख्या सर्वाधिक है.
कौन है रवि प्रकाश वर्मा
रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं, उनके पिता बाल गोविंद वर्मा लखीमपुर खीरी लोकसभा क्षेत्र से 1962 से 1971 और फिर 1980 में सांसद चुने गए थे. कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो जाने पर उपचुनाव हुआ, जिसमें रवि प्रकाश की माता उषा वर्मा सांसद चुनी गई थी. इसके बाद वह 1984 से 1989 तक संसद रहीं. रवि प्रकाश 1998 से 2009 तक सपा के सांसद रहे, इसके बाद में 2014 से 2020 तक वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं.