Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) अब पीडीए (PDA) के साथ नया प्रयोग करने की तैयारी कर रही है. इसके संकेत बीते दिनों ही अखिलेश यादव ने अपने बयानों के जरिए दे दिए थे. हालांकि इन सब से इतर सपा की चिंता ये है कि साइकिल पर बैठे साथी हर चुनाव के बाद उनका साथ छोड़ दे रहे हैं और अब ये कहानी भी पुरानी हो चली है.
दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के प्रयोग वाली राजनीति का सहारा सपा ने लिया था. लेकिन बात पार्टी और गठबंधन को इस चुनाव अपने इतिहास की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा. पार्टी इस चुनाव में केवल 47 सीटें जीत सकी. इस चुनाव में सपा का गठबंधन कांग्रेस के साथ था. इस करारी हार के बाद सपा और कांग्रेस के गठबंधन में दरार पड़ी, फिर दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए.
अब बात 2019 के लोकसभा चुनाव की करते हैं, इस चुनाव से पहले सपा ने गठबंधन पर एक और नया प्रयोग किया. राज्य में बीएसपी और सपा फिर से एक बार बीजेपी के खिलाफ एकजुट हुए. लेकिन इस बार भी सपा गठबंधन को कोई फायदा नहीं हुआ. इस चुनाव में बीएसपी ने दस सीटों पर जीत दर्ज की और सपा ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी गठबंधन ने इस चुनाव में 64 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें अकेले बीजेपी ने 62 सीट जीती. चुनाव के बाद सपा और बीएसपी में खटपट बढ़ी, इसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए.
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बनते-बिखरते रहे गठबंधन
हालांकि बात यहीं खत्म नहीं होती है, फिर से 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा ने एक नया गठबंधन बनाया. इस बार गठबंधन में कई छोटे दलों को जगह दी गई. सपा के साथ रालोद, अपना दल कमेरावादी, महान दल, प्रसपा और सुभासपा का गठबंधन हुआ. हालांकि बीजेपी के खिलाफ बने इस महागठबंधन को भी करारी हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में सपा की कुछ सीटें बढी लेकिन फिर भी पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा.
चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने 273 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि सपा गठबंधन को केवल 125 सीटों पर जीत मिली. इसमें रालोद को आठ सीटों और सुभासपा को छह सीटों पर जीत मिली. इस चुनाव के बाद फिर से गठबंधन में खटपट बढ़ी और गठबंधन से महान दल, प्रसपा और सुभासपा की राहें अलग हो गई. बीते निकाय चुनाव के चुनाव के दौरान भी गठबंधन में खटपट देखने को मिली. इस चुनाव में जयंत चौधरी और पल्लवी पटेल ने सपा के प्रत्याशियों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार दिए.
लेकिन अब लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राज्य में नए गठबंधन की तस्वीर बनने लगी है. पहले तो अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने के संकेत दिए थे. लेकिन अब विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेकर उन्होंने राज्य में एक बार फिर से नए गठबंधन की अटकलों को हवा दे दी है.