Badaun Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट पर इस बार की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है. बदायूं समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. लेकिन, 2019 में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने सपा का विजय रथ रोक दिया था. सपा एक बार फिर अपने किले को बचाने के इरादे से मैदान में उतर गई है. लेकिन, बीजेपी और बसपा से कड़ी चुनौती मिल रही है. इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. 


भारतीय जनता पार्टी ने बदायूं सीट से मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर दुर्विजय सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है. संघमित्रा मौर्य ने 2019 में सपा के दो बार के सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को चुनाव में हरा दिया था. इस बार समाजवादी पार्टी की ओर से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया गया हैं. बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी मुस्लिम खान को उम्मीदवार बनाया है. 


बदायूं का सियासी समीकरण
बदायूं लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. इस सीट पर सपा 1996 से 2014 तक लगातार जीतती आ रही है लेकिन 2019 में BJP की संघमित्रा मौर्य ने जीत हासिल की थी. सपा अपने खोए क़िले के वापस छीन लेने के इरादे से मैदान में है. अखिलेश यादव ने सबसे पहले इस सीट से चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया था लेकिन फिर रणनीति बदलते हुए शिवपाल यादव को उम्मीदवार बना दिया. बाद में शिवपाल यादव की इच्छानुसार उनके बेटे को टिकट दे दिया गया. 


बदायूं सीट के सियासी समीकरण की बात करें तो 1996 से 2004 तक इस सीट से सपा के सलीम शेरवानी सांसद रहे. इसके बाद 2009 में धर्मेंद्र यादव ने जीत हासिल की. 2014 में भी धर्मेंद्र यादव ही सपा के टिकट पर सांसद बने. लेकिन 2019 में संघमित्रा मौर्य ने सपा को हरा दिया. इस सीट पर सिर्फ दो बार ही भाजपा जीत चुनाव जीत पाई है. 


बदायूं का जातीय समीकरण
बदायूं में एएवाई यानी मुस्लिम और यादव समीकरण बहुत मज़बूत है जो सपा के पक्ष में रहा है. यहां यादव वोटर सबसे ज़्यादा है जिनकी संख्या 4 लाख तक है. मुस्लिम 3.5 लाख, गैर-यादव ओबीसी जातियां 2.5 लाख, वैश्य-ब्राह्मण 2.5 लाख और 1.75 लाख दलित मतदाता है.


Lok Sabha Election 2024: BSP उम्मीदवार ने कहा- 'मेरा चुनाव लड़ने का अभी कोई इरादा नहीं था, लेकिन बहन जी ने...'