UP Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट पर सातवें चरण में वोटिंग होनी हैं. इस सीट पर समाजवादी पार्टी की ओर से अफजाल अंसारी मैदान में हैं. उनका मुकाबला बीजेपी के पारस नाथ राय से हैं. बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए पूरी ताकत लगाई हुई है. पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने भी यहां चुनाव प्रचार किया. इस सीट पर कांटे की टक्कर हैं. इस बीच एबीपी न्यूज ने सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी से चुनाव को लेकर खास बात की. 


अफजाल अंसारी ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि उनके खिलाफ जमकर षड्यंत्र किया गया लेकिन गरीबों के दिल में उनके लिए प्यार है. इसलिए वो आज भी डकर चुनाव मैदान में खड़े हैं. अफजाल ने कहा कि गरीब पैसे से गरीब हो सकता है लेकिन ईमान से इतना मजबूत होता है, जो संकट में साथ देता है वो उसका साथ कभी नहीं छोड़ सकता. 


बीजेपी पर लगाए षड्यंत्र करने के आरोप
अफजाल ने कहा कि मेरी राजनीति की जड़ भी यही है. पांच साल बुलडोजर से मुझे खंडित करने की कोशिश की गई लेकिन डबल इंजन की सरकार मायूस होकर रह गई कि ये इंसान कि मिट्टी का बना है जो झुका नहीं. मेरी जड़े गरीबों के दिल में हैं जिन्होंने कोई काट नहीं सकता है. 


मुख़्तार अंसारी ने दावा किया कि पूर्वांचल की जनता मन बना चुकी है. आखिरी दो चरणों में दो सीटें भी ऐसी नहीं है जहां बीजेपी कह दे कि वो जीत रही है. हालात ऐसे है कि ये सारी सीटें भी हम जीते तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. अफजाल ने खुद पर दर्ज मामले पर कहा कि इन लोगों ने षड्यंत्र करके मुझे इस स्तर तक लाने की कोशिश की मैं चुनाव भी न लड़ पाऊं. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने मेरी सजा पर अंतिम फैसला आने तक स्थगित कर दिया.


बेटी नूरिया के निर्दलीय पर्चा भरवाने पर सपा प्रत्याशी ने कहा कि शुरू में ऐसा लग रहा है था कि ये लोग मेरा पर्चा खारिज करा सकते हैं. इसलिए मैंने अपनी बेटी को पर्चा भी भरवाया. लेकिन जब पर्चा स्वीकृत हो गया तो उसका पर्चा ऑटोमेटिक खारिज हो गया. लेकिन, फिर डराया जाने लगा कि 15 तारीख के बाद कुछ हो गया...तो मैंने बेटी ने निर्दलीय पर्चा भर दिया. 


माफिया कहे जाने पर दिया जवाब
अफजाल अंसारी ने खुद को माफिया कहे जाने पर कहा कि हमने बिना जाति और मजहब पूछे गरीबों की मदद की है. कभी-कभी परिस्थिति ऐसी आती है कि उन बड़े-बड़े सामंतवादियों से जो गरीबों पर अत्याचार करते है उनसे थोड़ा पंजा मिलाना पड़ता है. उन्होंने तर्क दिया कि कुछ देवी देवता ऐसे होते हैं जिन्हें फूल सुँघाया जाता है और कुछ ढेहलावा बाबा कहलाए जाते हैं वहीं पांच ढेला फेंकने पर वो खुश होते हैं. 


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