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Lok Sabha Elections 2024: बिहार से 5 बार सांसद रहे नीतीश कुमार,फूलपुर में ही जदयू क्यों तलाश रही जमीन? ये है 5 बड़ी वजह!

I.N.D.I.A. अलायंस के बनने से पहले ही JDU चाहती है कि Nitish Kumar, Phulpur Lok Sabha Seat से चुनाव लड़ें. हालांकि वह ऐसा क्यों चाहती है, इसके पीछे कई अहम वजह हैं.

Nitish Kumar From Phulpur: लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर विपक्षी राजनीतिक दलों और उनके गठबंधन I.N.D.I.A अलायंस की ओर से अभी तक कोई चेहरा जनता के सामने पेश नहीं किया गया है. इस बीच जनता दल यूनाइटेड की उत्तर प्रदेश इकाई ने बिहार के सीएम और जदयू नेता नीतीश कुमार से फिर से मांग की है कि वह प्रयागराज स्थित फूलपूर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें. 

बीते दिनों कुछ नेताओं ने नीतीश कुमार से मुलाकात की और उनसे निवेदन किया है कि वह फूलपुर सीट से चुनाव लड़ें. इससे पहले भी ऐसे दावे सामने आए हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार फूलपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि नीतीश कुमार की ओर से अब तक इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. वह प्रधानमंत्री के चेहरे वाले सवालों से भी बचते रहे हैं और लगभग हमेशा गोलमोल जवाब दिया.

बिहार से भी सांसद रहे नीतीश कुमार
राजनीतिक गलियारों में बीते कुछ दिनों से अक्सर यह चर्चा है कि आखिर जदयू, नीतीश कुमार को फूलपुर सीट से चुनाव क्यों लड़ाना चाहती है जबकि वह बिहार के मुख्यमंत्री हैं और वह चाहें तो वहां से भी चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसा भी नहीं है कि नीतीश कुमार बिहार से लोकसभा नहीं गए हैं. वह नवीं, दसवीं, 11वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा में बतौर सांसद चुने गए थे. नीतीश कुमार बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने जाते रहे. इस दौरान वह तीन दलों के नेता रहे. नवीं और 10वीं लोकसभा के कार्यकाल में वह जनता दल, 11वीं और 12वीं लोकसभा में समता पार्टी और फिर साल 1999 में 13वीं लोकसभा के दौरान वह जनता दल यूनाइटेड से सांसद रहे.

अब सवाल यह उठता है कि एक ओर तो जदयू I.N.D.I.A. अलायंस के एकता की बात करता है और खुद सीएम नीतीश कुमार यह कह चुके हैं कि वह सभी दलों के नेताओं को साथ लाने की कोशिश भर कर रहे हैं. वह खुद को पीएम फेस नहीं मानते, ऐसे में जदयू उन्हें फूलपुर से चुनाव क्यों लड़ाना चाहती है? इसकी 5 अहम वजहें सामने आ रही हैं.

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पहला - दरअसल, जदयू नेताओं का मानना है कि प्रयागराज की फूलपुर सीट पर करीब 20 फीसदी उम्मीदवार हैं तो कुर्मी जाति के हैं. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो अब तक 9 कुर्मी जाति के नेता इस क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. ऐसे में जदयू, नीतीश कुमार के लिए इस सीट को सेफ मान रही है. इतना ही नहीं इस सीट पर कुर्मियों के अलावा, मुस्लिम और यादव भी अहम भूमिका निभाते हैं.

दूसरा- इतना ही नहीं इस सीट से दो नेता ऐसे भी रहे जो देश के प्रधानमंत्री रहे. सबसे पहला नाम है पंडित जवाहर लाल नेहरू का जो इसी सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए. इसके अलावा विश्वनाथ प्रताप सिंह भी इसी सीट से चुनाव लड़े और फिर पीएम बने. ऐसे में जदयू चाहती है कि नीतीश कुमार पीएम फेस के तौर पर चुनाव लड़ें.

तीसरा- विपक्षी दलों के दावे की बात करें तो उनका मानना है कि अगर नीतीश कुमार सरीखा बड़ा चेहरा इस सीट से चुनाव लड़ेगा तो कम से कम 20 सीटों का फायदा होगा. विपक्षी दल इस फायदे वाली सीटों में बिहार की भी कुछ सीटों पर दावा करते हैं.

चौथा- इसके साथ ही जदयू समेत पूरे विपक्ष की कोशिश है कि वह भारतीय जनता पार्टी को इस क्षेत्र में घेर ले ताकि वह अपनी पूरी ताकत यहीं झोंक दें और अन्य सीटों पर उनकी पकड़ कमजोर हो जाए. माना जाता है कि अगर पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे तो नीतीश कुमार 

पांच- अगर राज्य के स्तर पर बात करें तो आंकड़ों का दावा है कि उत्तर प्रदेश में कुर्मी समुदाय कुल आबादी का लगभग 9%  है. राज्य की ओबीसी आबादी के नजरिए से बात करें तो यह आंकड़ा  लगभग 35 प्रतिशत है. राज्य की 10 से 12 लोकसभा सीटों और लगभग 36 विधानसभा सीटों पर कुर्मियों का प्रभाव माना जाता है.

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