UP Politics: चंद्रशेखर आजाद ने यूपी को लेकर दोहराई मायावती वाली मांग, संसद में उठाई आवाज
Chandrashekhar Azad News: नगीना सांसद ने कहा कि राज्य जितना छोटा होगा, उतना ही उसकी निगरानी अच्छी होगी, यूपी को विभाजित करने से प्रदेश के नौजवानों के लिए व्यवस्था हो पाएंगी.
UP News: उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में उत्तर प्रदेश के विभाजन का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश को चार हिस्सों में विभाजित कर देना चाहिए. तभी प्रदेश का विकास हो सकेगा. उन्होंने कहा कि राज्य जितना छोटा होगा, लोग उतना सरकार से जुड़ सकेंगे. उन्होंने योगी सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी सरकार की विकास की गति बहुत धीमी है.
चंद्रशेखर आजाद ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की किताब का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य जितना छोटा होगा उतनी ही तेजी से वहां विकास हो सकेगा. जनता के लिए व्यवस्थाएं बढ़ेंगी. नौजवानों को रोजगार मिल सकेगा और तरक्की हो सकेगी.
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यूपी को विभाजित करने की मांग
इस मुद्दे पर एनडीटीवी से बात करते हुए नगीना सांसद ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य हैं. 80 लोकसभा सीटें हैं. 403 विधानसभा क्षेत्र हैं और प्रदेश की 25 करोड़ की आबादी है. दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो यूपी से आधी आबादी के हैं. सरकार लोगों को पांच किलो राशन दे रही है लेकिन ये जीने के लिए काफी नहीं हैं. मेरी कोशिश है कि यूपी के अंतिम व्यक्ति तक भी बुनियादी सुविधाएं जाएं. रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था हो.
नगीना सांसद ने कहा कि राज्य जितना छोटा होगा, उतना ही उसकी निगरानी अच्छी होगी, काम करना आसान होगा और जनता की पहुंच में होगा. मुझे लगता है यूपी को अगर विभाजित कर दिया जाएगा तो प्रदेश के लिए नौजवानों की व्यवस्था हो पाएँगी. लोगों को मौका मिलेगा. उतना उसका विकास होगा. नए संस्थान बनेंगे..नई व्यवस्थाएं होंगी. उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ उत्तर प्रदेश की जनता की चिंता करता हूं. अगर आप दूसरे सांसदों से पूछेंगे तो वो भले ही खुलकर न कहें लेकिन अंदर से सब इसका समर्थन करेंगे.
ये पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश के विभाजन की बात उठी हो. इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती भी यूपी को चार हिस्सों में बांटने की बात कह चुकी हैं. मायावती ने बतौर मुख्यमंत्री इस संबंध में एक प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भी भेजा था. हालांकि समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों इसके पक्ष में नहीं हैं.