Akbarpur Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के 44 वीं लोकसभा कही जाने वाली अकबरपुर लोकसभा 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. इससे पहले ये क्षेत्र बिल्हौर लोकसभा के नाम से जाना जाता था, मुगल कालीन का भी इस लोकसभा से नाता है. क्योंकि राजा अकबर ने यहां एक प्रसिद्ध शुक्ल तलब के निर्माण 1563 में कराया था. जिसके चलते ये इस जिले का मुख्यालय भी अकबरपुर के नाम से बन गया ,गंगा और यमुना के बीच बसे कानपुर देहात जिले की मात्र एक विधान सभा अकबरपुर - रनिया  ही शामिल है. अन्य 4 विधान सभा कानपुर से जुड़ी हुई है. जिसमे कल्याणपुर , महाराजपुर , बिठूर और घाटमपुर विधान सभा इस लोक सभा क्षेत्र में आते हैं, धार्मिक इतिहास से भी ये लोकसभा अपना रिश्ता रखती है. घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र में बने मुक्ता देवी मंदिर भी आस्था का एक केंद्र माना जाता है.


अकबरपुर लोकसभा वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई और 2009 से अकबरपुर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में गिनी जाने लगी, इससे पहले ये लोकसभा बिल्हौर के नाम से जानी जाती थी .ये लोकसभा कानपुर झांसी और कानपुर इटावा को जोड़ने वाला एक टर्निग प्वाइंट भी है ,औद्योगिक क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा इस लोकसभा में आता है जहां देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाइयां भी स्थित हैं.


परिसीमन से पहले और बाद का राजनीतिक समीकरण
वर्ष 1999  में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिल्हौर लोकसभा. सीट के नाम से जानी जाती थी और यहां से  बीजेपी के श्याम बिहारी मिश्रा  ने चुनाव लड़कर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राजाराम पाल को शिकस्त देकर इस सीट पर बीजेपी का कब्जा कर दिया,वर्ष 1994 में हुए चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के राजाराम पाल ने जीत हासिल कर समाजवादी पार्टी के लाल सिंह तोमर को पछाड़कर अपना कब्जा बनाया और लोकसभा में बीएसपी की बढ़त बनाई, वर्ष 2007 में इस सीट पर  बाय इलेक्शन कराया गया क्योंकि बीएसपी के लोकसभा सदस्य राजाराम पाल को निष्कासित किया गया क्योंकि उन्होंने लोकसभा में पैसे लेकर सवाल पूछा था जिसके चलते उनकी सदस्यता रद्द हुई थी और पार्टी ने उन्हें बीएसपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.


अकबरपुर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण
अकबरपुर लोकसभा में वर्तमान में 17,50,000 मतदाता हैं इन मतदाताओं में सामान्य मतदाता 5,50,000 हजार है ओबीसी मतदाता करें 6,70000 हजार हैं जबकि एससी मतदाता की संख्या 450000 है और आखिर में मुस्लिम मतदाता 125000 हैं.जिसके चलते इस लोकसभा सीट पर ओबीसी ,अल्पसंखयक और एससी मतदाताओं की भूमिका अहम बताई जाती है और ये ही मतदाता लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी और पार्टी के लिए सबसे बड़ा केंद्र रहता है इसलिए ज्यादातर पार्टी ओबीसी और  एससी मतदाता पर अपना ध्यान लगाती है.


अकबरपुर लोकसभा की 5 विधानसभा का समीकरण 
बिठूर विधानसभा - अभिजीत सिंह सांगा बीजेपी 
महाराजपुर विधानसभा - सतीश महाना बीजेपी
कल्याणपुर विधानसभा - नीलिमा कटियार बीजेपी
रनिया अकबरपुर विधानसभा - प्रतिभा शुक्ला बीजेपी
घाटमपुर विधान सभा - सरोज कुरील ने अपना दल एस 
अकबरपुर लोकसभा सीट के क्षेत्र में आने वाली 5 विधान सभा और प्रत्येक विधानसभा में 2022 में जीत दर्ज करने वाले 4 विधायक बीजेपी के थे और एक विधान सभा पर अपना दल (एस) से चुने गए हैं. जो अपने अपने क्षेत्र के मतदाताओं से अपनी पार्टी के प्रत्याशी को सहायता दिला के लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.


2014 से बीजेपी के खाते में है सीट
वहीं इस सीट पर बीजेपी के वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले तीसरी बार मैदान में ताल ठोकने का दम भर रहे हैं, लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से निकलकर आई बात में 70 की उम्र पार कर चुके दावेदारों को टिकट न देने की बात की जा रही है ,वहीं इस सीट से बीजेपी के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, बीजेपी मंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी और कानपुर के बिठूर से बीजेपी विधायक अभिजीत सांगा भी इस सीट से अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं, लेकिन सपा ने अपनी पहली लिस्ट में अकबरपुर लोकसभा से पूर्व सांसद राजाराम पाल को मैदान में उतारा है और ये ओबीसी समीकरण मना जा  रहा है. वहीं कांग्रेस भी इस सीट पर अन्य ताल ठोक रही है हालांकि में इस सीट पर सपा ने कभी अपना खाता नहीं खोला जिसके चलते यहां इस सीट पर कांग्रेस, बीएसपी और बीजेपी की ही मजबूती नजर आती है.


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