(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गोरखनाथ मंदिर पहुंचे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, बोले- मुद्दों पर चर्चा करना संसद का काम
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शनिवार को गोरखपुर पहुंचे. यहां उन्होंने गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा गोरखनाथ के दरबार में दर्शन किया. उन्होंने कहा कि ये मंदिर हमारी आस्था का केन्द्र है.
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर पहुंचे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गोरखनाथ मंदिर जाकर बाबा गोरखनाथ के दरबार में दर्शन किया. उन्होंने इसके बाद ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर मत्था टेककर आशीर्वाद लिया. इस दौरान उन्होंने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के सवाल पर कहा कि ये काम संसद का नहीं है. संसद का काम इन मुद्दों पर चर्चा कराने का है.
संसद सत्र हमारे संविधानिक दायित्वों को पूरा करता है किसानों के मुद्दे और महंगाई को लेकर हुए सवाल पर उन्होंने कहा कि संसद का सत्र हमारे संविधानिक दायित्वों को पूरा करता है. उनकी पूरी कोशिश होती है कि संसद का सत्र सुचारु रूप से चले और व्यवस्थित रूप से चले. लोकसभा के सदस्य अपने क्षेत्र की घटनाओं, कठिनाइयों और वहां की समस्याओं को सदन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाएं. उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र की विशेषता है, चर्चा, संवाद, सहमति और असहमति. विभिन्न विचारधाराओं और विभिन्न क्षेत्रों के बाद भी हमारे लोकतंत्र में जब भी देशहित का मुद्दा होता है, सब सामूहिक रूप से फैसले और निर्णय करते हैं. उन सभी मुद्दों की जिनकी आप बात कर रहे हैं. उनकी चर्चा के लिए सदन है. निश्चित रूप से कोशिश होती है कि हर गंभीर मुद्दे पर सदन में चर्चा और संवाद हो.
संस्कृति को बचाने में नाथ संप्रदाय का बड़ा योगदान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में दर्शन करने का अवसर मिला. ये मंदिर हमारी आस्था का केन्द्र है. ये हमें आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा-संस्कार देने का काम भी करता है. उन्होंने कहा कि ''मैं राज्य के मुख्यमंत्री को विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने धार्मिक कार्य के साथ सामाजिक कार्य भी किए हैं. जिन्होंने स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, गोशाला और समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण कैसे हो सकता है. ये उन्होंने इस पीठ के माध्यम से किया है.'' लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज भी पूरे देश में नाथ संप्रदाय भारतीय संस्कृति और धर्म को बचाने में लगा है. गांव के अंदर धर्म, संस्कृति और मंदिर बचे हुए हैं. इसमें नाथ संप्रदाय का भी बड़ा योगदान है.
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