लखनऊ, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटी बलरामपुर संसदीय सीट 1952 में अस्तित्व में आई। इस सीट ने देश को दो भारत रत्न दिए- अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख। इसके बावजूद अब ये सीट केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह गई है। अवध की इस सीट पर ज्यादातर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का कब्जा रहा है।
6 बार बीजेपी ने किया प्रतिनिधित्व
- अबतक 15 बार चुनाव हुए
- जनसंघ दो बार जीती
- कांग्रेस ने पांच बार बाजी मारी
- बीजेपी चार बार जीती
- दो बार सपा ने लहराया परचम
- एक बार निर्दलीय का रहा कब्जा
ऐसा कहा जाता है कि श्रावस्ती लोकसभा सीट के जन्म के बाद बलरामपुर सीट का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया है। बता दें कि श्रावस्ती सीट 2008 में अस्तिव में आई और 2009 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था।
बलरामपुर का ‘अटल’ कनेक्शन
उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता है, खासकर- बलरामपुर और लखनऊ लोकसभा सीट से। जब भी अटलजी के राजनीतिक जीवन की बात होती है, तो इन दोनों सीटों का जिक्र जरूरत होता है। 1952 में अस्तित्व में आई बलरामपुर सीट पर पहली बार कांग्रेस उम्मीदवार बैरिस्टर हैदर हुसैन रिजवी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1957 में हुए चुनाव में जनसंघ ने ग्वालियर में जन्म अटल बिहारी वाजपेयी को बलरामपुर से अपना प्रत्याशी बनाया और यहीं से जीतकर अटल जी पहली बार संसद पहुंचे थे। इस चुनाव में अटल ने जनसंघ के ‘दीपक’ को इस कदर गांव-गांव जगमग किया, कि कांग्रेस प्रत्याशी सुभद्रा जोशी उनके सामने चुनावी मैदान में टिक न सकीं और चुनाव हार गईं। जिस सीट से विजयी होकर अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार सांसद बने, उस बलरामपुर को उन्होंने अपना बना लिया।
बलरामपुर स्टेट से हुआ नानाजी का मुकाबला
1977 के चुनाव में जेपी आंदोलन का असर ऐसा दिखा कि देशभर में कांग्रेस विरोधी लहर दौड़ पड़ी। इस चुनाव में पहली बार बलरामपुर स्टेट का कोई सदस्य चुनावी मैदान में उतरा, मुकाबले में उनके सामने खड़े थे आदिवासी थारू और गरीबों के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे समाजसेवी नानाजी देशमुख। जिन्हें जनता पार्टी ने बलरामपुर स्टेट की महारानी राजलक्ष्मी देवी के खिलाफ मैदान में उतारा। इस चुनाव में नानाजी देशमुख ने बाजी मारी और महारानी राजलक्ष्मी देवी को हार झेलनी पड़ी।
इसलिए महारानी ने नानाजी को सौंप दिया था अपना फार्म
महारानी भले ही इस चुनाव में हार गईं हो, लेकिन जिस तरह नानाजी ने नील कोठी पहुंचकर उन्हें सम्मान दिया, उससे वो इतनी खुश हो गईं कि उन्होंने नानाजी को सामाजिक कार्यों के लिए महाराजगंज का अपना फार्म दे दिया। नानाजी ने इसी फार्म पर दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की। इस संस्थान में आज भी जड़ी-बूटियां उगाई जाती हैं और शोध भी होता है।
- देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश के शीर्ष नागरिक पुरस्कार ‘’भारत रत्न’’ से 2015 सम्मानित किया गया।
- नानाजी देशमुख को इसी वर्ष (2009) देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
बलरामपुर सीट फ्लैश बैक: कब-कौन जीता
साल कौन जीता पार्टी
1952 बैरिस्टर हैदर हुसैन रिजवी कांग्रेस
1957 अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ
1962 सुभद्रा जोशी कांग्रेस
1967 अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ
1971 चंद्रभाल मणि तिवारी कांग्रेस
1977 नानाजी देशमुख जनसंघ
1980 चंद्रभाल मणि तिवारी कांग्रेस
1984 महंत दीपनारायण वन कांग्रेस
1989 फैजउर रहमान मुन्नन खां निर्दलीय
1991 सत्यदेव सिंह बीजेपी
1996 सत्यदेव सिंह बीजेपी
1998 रिजवान जहीर सपा
1999 रिजवान जहीर सपा
2004 बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी
2009 डॉ विनय कुमार पांडेय कांग्रेस
2014 दद्दन मिश्रा बीजेपी