बरेली, एबीपी गंगा। राजनीतिक दलों का होमवर्क पूरा करने का टाइम अब निकल चुका है, अब है परीक्षा की घड़ी। किसको कितने अंक मिलेंगे, इसका फैसला अब मतदाताओं के हाथ में है। बात बरेली मंडल की करें, तो यहां के चार जिलों में पांच संसदीय सीटें हैं। यहां के 92 लाख 73 हजार 804 मतदाता 17वीं लोकसभा का नया चेहरा गढ़ेंगे। 17वीं लोकसभा चुनने के लिए होने वाला इस बार का चुनाव कई मायनों में अहम है, क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव में देशभर में कुल 90 करोड़ वोटर होंगे, इनमें 8.4 करोड़ मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। अब हम बात करेंगे केवल रुहलेखंड इलाके की। सबसे पहले मतदाता संख्या पर आते हैं।


पांच साल में इतने बढ़े मतदाता


शुरुआत करते हैं पांच साल पहले 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से। जैसा की आप जानते है इस मंडल में पांच संसदीय क्षेत्र हैं- बरेली, आंवला, बदायूं, शाहजहांपुर और पीलीभीत। इन पांचों सीटों पर साल 2014 के चुनाव में कुल 87 लाख 37 हजार 251 मतदाता थे। इस क्षेत्र में इन पांच साल में पांच लाख 36 हजार 553 मतदाता बढ़े हैं। यह बड़ा अंतर आया है, पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं के जोश के कारण।


5 सीटों पर सबसे ज्यादा वोटर शाहजहांपुर में


मंडल की पांच सीटों में शाहजहांपुर सुरक्षित सीट पर सबसे अधिक मतदाता संख्या है। यह आंकड़ा 20 लाख के पार है। इसके पीछे का भी एक कारण है। दरअसल बरेली, आंवला, बदायूं और पीलीभीत सीट में जहां 5-5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। वहीं शाहजहांपुर का संसद सदस्य छह क्षेत्रों से चुनकर आता है।


आंवला लोकसभा सीट का समीकरण


आंवला संसदीय सीट के समीकरण की बात करें, तो यहां मुस्लिम वोटरों का खासा प्रभाव है। जिले में करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जबकि 65 फीसदी संख्या हिंदुओं की है। मुस्लिम-दलित वोटरों का समीकरण काफी लंबे समय से यहां नतीजे तय करता आया है। इसके अलावा क्षत्रीय-कश्यप वोटरों का भी यहां खासा प्रभाव रहा है। ऐसे में सपा-बसपा गठबंधन से यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प होता नजर आ रहा है।


2014 के आंकड़ों के अनुसार




  • करीब 17 लाख वोटर

  • करीब 9 लाख पुरुष और 7.5 लाख महिला मतदाता

  • आंवला लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें

  • आंवला लोकसभा क्षेत्र में शेखपुर, दातागंज, फरीदपुर, बिथरीचैनपुर और आंवला विधानसभा सीटें आती हैं

  • 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी


एक नजर बरेली लोकसभा पर


दिलचस्प बात यह है कि आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनावों में बरेली लोकसभा सीट का आकार बदलता रहा है। शुरुआती तीन चुनाव तक तो पूरा जिला एक लोकसभा सीट था, लेकिन 1967 में आंवला एक अलग लोकसभा क्षेत्र बन गया। जातिगण आंकड़ों के मुताबिक, इस बार जो मतदाता सूची अब तक फाइनल हुई, उसके अनुसार वोटरों के मामले में बरेली शहर में चार लाख, 25 हजार, 623 वोटर हैं। यहां पर भी मुस्लिम, दलित और कुर्मी वोटरों का खासा प्रभाव होता है। कुर्मी मतदाता संतोष गंगवार की असली ताकत हैं, जो कि बरेली से बीजेपी के सांसद हैं।




  • बरेली जिले में युवा वोटरों की संख्या में खासा इजाफा हुआ। ये वे लोग हैं जो कि शिक्षित वर्ग से ताल्लुक रखते हैं।



  • जिले में महिला वोटरों की संख्या पुरुषों के मुकाबले हर जगह कम है। प्रत्येक जगह महिला वोटरों की संख्या पुरुष वोटरों की तुलना में 30 से 40 हजार कम है।