लखनऊ, एबीपी गंगा। Loksabha Election 2019, एबीपी गंगा पर ‘चुनावी यादों’ की सीरीज में अब बात करते हैं सियासत में लहर के दौर की। सियासत की जंग में हर दौर में कोई न कोई लहर सब पर भारी पड़ी है, लेकिन लहरों के भी थमने का दौर आता है। ऐसा ही एक किस्सा 1962 के लोकसभा चुनाव से जुड़ा है, जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया प्रचार करने में जुटे थे।


आना नहीं चाहते थे नेहरू, पर आना ही पड़ा


ये बात है साल 1962 के लोकसभा चुनाव की। फूलपुर संसदीय सीट पर जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया प्रचार में जुटे थे। नेहरू ने पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि वे अपने संसदीय क्षेत्र में प्रचार करने नहीं जाएंगे। लिहाजा बेटी इंदिरा गांधी नेहरू के प्रचार की कमान संभाल रखी थीं, लेकिन लोहिया के प्रचार करने का तरीका ऐसा था कि जनता उनके साथ जुड़ती जा रही थी। इंदिरा को यह एहसास हो चुका था कि हवा बदलती नजर आ रही है।


उन्होंने पिता को मौजूदा हालात को लेकर संदेश भेजा और आखिरकार नेहरू को अपना फैसला बदलते हुए फूलपुर आना ही पड़ा। अंतिम दो दिनों में नेहरू फूलपुर में प्रचार करते देखे गए और अंतत: जीत नेहरू की ही हुई।