जब अभिनेता बने नेता: कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए बनाई थी राजनीतिक पार्टी
भारत की राजनीति में एक ऐसा भी अवसर देखने को मिला था, जब फिल्मी सितारों ने खुद एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी। सदाबहार अभिनेता देवानंद पार्टी के अध्यक्ष थे। असल में इस पार्टी का गठन कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए किया गया था।
चकाचौंध से दूर राजनीति में भी ग्लैमर का तड़का लगता रहा है। ये कोई नई बात नहीं है, जब कोई अभिनेता नेता बनने की राह पर चला हो। भारत की राजनीति में एक ऐसा भी अवसर देखने को मिला था, जब फिल्मी सितारों ने खुद एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी और उसके अध्यक्ष कोई और नहीं बल्कि सदाबहार अभिनेता देवानंद थे। असल में इस पार्टी का गठन कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के इरादे से किया गया था।
इमरजेंसी के दौर का वो किस्सा....
इमरजेंसी के दौरान के किस्से-कहानियों में एक किस्सा फिल्मी सितारों के राजनीतिक पार्टी बनाने का भी शामिल है। 1975 में इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जिस तरह से सख्ती और क्रूरता दिखाई, उसने आम लोगों से लेकर राजनीतिक जगत और फिल्मी सितारों पर भी गहरा असर डाला। लिहाजा, 1977 में इमरजेंसी खत्म होने के बाद हुए चुनाव में फिल्मी सितारों ने एकजुटता दिखाई और कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए ‘नेशनल पार्टी’ का गठन किया। इस पार्टी के अध्यक्ष बने देवानंद साहब।
कब और कैसे हुआ पार्टी का गठन
जनता पार्टी ने 1977 से 1980 तक भारत सरकार का नेतृत्व किया। आंतरिक मतभेदों के कारण जनता पार्टी 1980 में टूट गई। जनता पार्टी के पतन के चलते नए चुनाव का ऐलान हुआ। यह पहला मौका था जब बॉलीवुड ने गंभीरता से राजनीतिक दल का गठन करने का निर्णय लिया। इसके तहत 4 सितंबर, 1979 को मुंबई के ताज होटल में फिल्मी सितारों की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘नेशनल पार्टी’ के गठन का ऐलान किया गया। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी ने अपना घोषणापत्र भी जारी किया।
- वीं. शांताराम के मुंबई के परेल में स्थित राजकमल स्टूडियो में पार्टी का मुख्यालय बनाया गया।
- हालांकि देवानंद के दफ्तर से पार्टी के सक्रिय कार्य का संचालन हुआ करता था।
नेशनल पार्टी से कौन-कौन सितारे जुड़े थे?
पार्टी अध्यक्ष देवानंद के अलावा उनके भाई विजय आनंद, निर्माता-निर्देशक वी.शांताराम, श्रीराम बोहरा, जीपी सिप्पी, रामानंद सागर, शत्रुघ्न सिन्हा, आइएस जोहर, संजीव कुमार, हेमा मालिनी, धर्मेंद्र जैसे अनेक फिल्मी सितारे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी से जुड़े थे। सभी ने एकमत होकर देवानंद को पार्टी अध्यक्ष बनाया था।
सितारों की पार्टी ने बढ़ा दी थी जनता पार्टी और कांग्रेस की चिंता
फिल्मी सितारों की इस पार्टी ने जनता सरकार और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी थी। दरअसल, नेशनल पार्टी में फिल्मी जगत से जुड़े लोगों के होने से बड़ी संख्या में लोग इससे जुड़ने लगे। जब मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई नेशनल पार्टी की रैली में बड़ी संख्या में भीड़ देखने को मिली, तो लोगों की इस भीड़ ने दोनों बड़े दलों (कांग्रेस और जनता पार्टी) की चिंता बढ़ा दी। पार्टी से जुड़ने वाले लोगों की बढ़ती संख्या देख उत्साहित आइस जोहर ने ये तक कह डाला था कि वो जनता सरकार में स्वास्थ्य मंत्री राजनारायण के खिलाफ न सिर्फ चुनाव लड़ेंगे बल्कि उन्हें पराजित भी करेंगे। उस वक्त जोहर की बयानबाजी से राजनारायण इस कदर नाराज हो गए थे, कि कह बैठे थे कि अगर जोहर अपनी हरकतों से बाज नहीं आए, तो मैं उनके हाथ-पैर तोड़ दूंगा।
कैसे बिखरी पार्टी
भारी जन सहयोग मिलने के बाद भी फिल्मी सितारों की नेशनल पार्टी सियासी गलियारों में ज्यादा दिन टिक न सकी। दरअसल, नेशनल पार्टी से जुड़े प्रमुख चेहरों (जीपी सिप्पी, रामानंद साहर) को तत्कालीन जनता सरकार और कांग्रेस ने ये नसीहत दी थी कि चुनाव के बाद होने वाली मुश्किलों से अगर फिल्मी उद्योग को बचाना है, तो उन्हें ये सब बंद करना पड़ेगा। ये नसीहत से ज्यादा धमकी भरा संदेश था, इसके परिणामों को फिल्मी जगत के लोग बखूबी समझ रहे थे। ऐसे में धीरे-धीरे नेशनल पार्टी के सक्रिय फिल्मी सितारे पार्टी से किनारा करने लगे। देवानंद लगभग अकेले पड़ गए...ऐसे में नेशनल पार्टी का विचार सियासी गलियारों के शोरगुल में कहीं खो गया।