लखनऊ, एबीपी गंगा। Loksabha Election 2019, गंगा के किनारे बसा औद्योगिक शहर कानपुर उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों में से एक है। कानपुर लोकसभा सीट कभी कम्युनिस्ट, कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के गढ़ के रूप में मशहूर रही। ‘लेदर सीटी’ नाम से मशूहर कानपुर सीट पर फिलहाल ‘कमल’ का कब्जा है। 2014 में बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी ने चुनावी मैदान में जीत का हैट्रिक लगा चुके कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल को करारी मात दी थी और यहां भगवा ध्वज फहराने में कामयाब रहे थे। वहीं, 2017 के विधानसभा चुनावों में भी कानपुर से बीजेपी जीती थी। लाजमी है कि 2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी कानपुर में भगवा परचम लहराने की हरसंभव कोशिश में है। इसको लेकर बीजेपी के स्चार प्रचारक और निवर्तान पीएम नरेंद्र मोदी की यहां रैली कर चुके हैं।
कानपुर: मौजूदा सांसद का इतिहास
मुरली मनोहर जोशी
बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.मुरली मनोहर जोशी वर्तमान में कानपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं। जोशी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्रीप्रकाश जायसवाल को हराया था। जायसवाल इसी सीट से जीतकर एक बार केंद्रीय कोयला मंत्री, तो एक बार गृह राज्य मंत्री बने। लेकिन वो 2014 में बीजेपी के विजय रथ को रोकने में नामकायब रहे। यहां तक की 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी यहां बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था। यहां तक की प्रदेश सरकार के दो कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी और सतीश महाना का भी कानपुर से ताल्लुक है। सत्यदेव पचौरी इसी लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीट गोविंदनगर से विधायक हैं, तो अकबरपुर लोकसभा की विधानसभा सीट महाराजपुर से विधायक सतीश महाना भी कानपुर शहर में ही रहते हैं। हालांकि, इस बार मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटकर सत्यदेव पचौरी को जायसवाल के खिलाफ मैदान में उतारा है।
2014 का जनादेश
- बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,22, 946 मतों से करारी मात दी
- 2014 में मुरली मनोहर जोशी को 4,74,712 वोट मिले
- कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,51,766 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे
- तीसरे पर बीएसपी रही। बसपा के सलीम अहमद के खाते में 53,218 वोट गए
- सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को 25,723 वोट मिले
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कानपुर संसदीय सीट पर आजादी के बाद से अबतक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस छह बार जीत का परचम लहरहा चुकी है, जबकि 11 बार निर्दलीय उम्मीदवार और बीजेपी सहित अन्य पार्टियों ने जीत दर्ज की है।
- 1952 चुनाव में कांग्रेस के हरिहरनाथ शास्त्री ने जीत दर्ज की
- 1957 के चुनाव में कांग्रेस के हाथों से सीट फिसल गई
- 1957 से 1971 तक एसएम बनर्जी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कानपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया
- 1977 में भारतीय लोकदल से मनोहर लाल जीते
- 1980 में आरिफ मो. अहमद की जीत के साथ कांग्रेस की दोबारा कानपुर संसदीय सीट पर वापसी हुई।
- 9 साल बाद 1989 में सीपीएम से सुभाषनी अली ने कांग्रेस के हाथ से सीट छीन ली।
अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी का कानपुर सीट पर अपना कब्जा जमाया। 1991 में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। बीजेपी के जगतवीर सिंह सांसद बने। यहीं से शुरुआत हुई कानपुर संसदीय सीट पर बीजेपी के दबदबे की शुरुआत। 1996 और 1998 में भी बीजेपी यहां से जीतने में कामयाब रही।
1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारकर बीजेपी के मजबूत हो रहे दुर्ग को भेदने में सफल रही। जायसवाल लगातार तीन बार 1999, 2004 और 2009 में इस सीट से जीतने के कामयाब रहे, लेकिन 2014 में मोदी लहर के आगे वो टिक नहीं सके और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
ये भी जानना जरूरी है....
पहला 1951-57 हरिहर नाथ शास्त्री, शिव नारायण टंडन, राजाराम शास्त्री
दूसरा 1957-60 एसएम बनर्जी
तीसरा 1962-67 एसएम बनर्जी
चौथा 1967-71 एसएम बनर्जी
पांचवां 1971-77 एसएम बनर्जी
छठा 1977-80 मनोहर लाल
सातवां 1980-84 आरिफ मोहम्मद खान
आठवां 1984-89 नरेश चंद्र चतुर्वेदी
नौंवा 1989-91 सुभाषिनी अली
दसवां 1991-96 जगतवीर सिंह द्रोण
11वां 1996-98 जगतवीर सिंह द्रोण
12वां 1998-99 जगतवीर सिंह द्रोण
13वां 1999-04 श्रीप्रकाश जायसवाल
14वां 2004-09 श्रीप्रकाश जायसवाल
15वां 2009-14 श्रीप्रकाश जायसवाल
16वां 2014-अब तक मुरली मनोहर जोशी