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चाचा-भतीजे की जंग का मैदान बनी फिरोजाबाद लोकसभा सीट, कुछ ऐसे हैं सियासी समीकरण

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन और शिवपाल यादव के सपा से अलग होने से 2019 का लोकसभा चुनाव यहां दिलचस्प हो गया है। ये सीट चाचा-भतीजे के बीच जंग के चलते सुर्खियां बटोर रही है।

उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की दूसरी पीढ़ी के नेता अक्षय यादव सांसद हैं। 2014 के चुनाव में उन्होंने यहां पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की और पहली बार लोकसभा में पहुंचे। जाट और मुस्लिम वोटरों के वर्चस्व वाली इस सीट पर इस बार भी निगाहें टिकी हैं। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन और शिवपाल यादव के सपा से अलग होने से 2019 का लोकसभा चुनाव यहां दिलचस्प हो गया है। ये सीट चाचा-भतीजे के बीच जंग के चलते सुर्खियां बटोर रही है।

मुख्य उम्मीदवार

यहां से कुल 6 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें मुख्य मुकाबला सपा से अलग होकर नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले शिवपाल से हैं जो रिश्ते में उनके चाचा लगते हैं। इन दोनों के अलावा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के डॉक्टर चंद्रसेन जादौन भी मैदान में हैं और 2 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय हैं।

फिरोजाबाद लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास

शुरुआती चुनावों में ये सीट कभी किसी एक पार्टी के हक में नहीं रही और लगातार जनता ने अपना मिजाज यहां पर बदला। इस सीट पर 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। 1967 में सोशलिस्ट पार्टी ने यहां से चुनाव जीता, 1971 में कांग्रेस ने यहां पर जीती। 1977 से लेकर 1989 तक हुए कुल चार चुनाव में भी कांग्रेस सिर्फ एक बार ही जीत पाई। 1991 के बाद लगातार तीन बार यहां भारतीय जनता पार्टी जीती, BJP के प्रभु दयाल कठेरिया ने यहां जीत की हैट्रिक लगाई। उसके बाद 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन ने बड़ी जीत हासिल की। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 2009 से इस सीट पर चुनाव लड़ा और जीते हालांकि चुनाव के बाद उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था।

2009 में कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने चुनाव जीता और 2014 में समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव ने यहां से बड़ी जीत हासिल की।

फिरोजाबाद सीट का समीकरण 2011 की जनसंख्या के आंकड़ों को मानें तो फिरोजाबाद क्षेत्र में 15 फीसदी से अधिक मुस्लिम जनसंख्या है, यानी मुस्लिम मतदाता यहां पर निर्णायक स्थिति में हैं। 2014 के आंकड़ों के अनुसार यहां 16 लाख से अधिक वोटर हैं, इनमें 9 लाख से अधिक पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं। 2019 के चुनाव में भी इस सीट पर मुस्लिम, जाट और यादव वोटरों का समीकरण बड़ी भूमिका निभा सकता है।

फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें टुंडला, जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद और सिरसागंज सीटें शामिल हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ सिरसागंज की सीट पर समाजवादी पार्टी ने बाजी मारी थी और बाकी सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं।

2014 में कैसा था जनादेश? पिछले चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर हुई थी, हालांकि समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव ने बाजी मार ली थी। अक्षय यादव को कुल 5 लाख से ज्यादा यानी 48.4% वोट मिले थे वहीं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 38 फीसदी वोट मिले थे। पिछले चुनाव में यहां 67 फीसदी मतदान हुआ था।

सांसद का प्रदर्शन और प्रोफाइल स्थानीय सांसद अक्षय यादव उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे हैं। अक्षय यादव ने 2014 के लोकसभा चुनाव से ही राजनीति में एंट्री ली और मोदी लहर के बावजूद जीत दर्ज करने में कामयाब हुए। अक्षय यादव मौजूदा समय में संसद की कई कमेटियों के सदस्य हैं।

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