लखनऊ, एबीपी गंगा। 2019 के सियासी महामुकाबले की जंग अंतिम चरण में पहुंच गई है। अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होगा और 23 मई तो नजीजे आएंगे। कोई खुश होगा तो किसी के हाथ निराशा लगेगी। किन चुनावी मौसम में आप चुनाव निशान, राजनीतिक पार्टियां, मतदान इन सभी के बारे में खूब पढ़ते या सुनते होंगे लेकिन क्या आपने कभी जमानत के बारे में जानने की कोशिश की है। चुनाव में जमानत जब्त हो जाना क्या होता है, जमानत राशि क्या होती है, इसके क्या नियम हैं...तो चलिए हम आपको जमानत राशि और इसकी पूरी प्रकिया के बारे में बताते हैं।


पंजीकृत वोटर कहीं से भी लड़ सकता है चुनाव


भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 84 (b) के मुताबिक 25 साल के किसी भी व्‍यक्ति को लोकसभा चुनाव लड़ने का अधिकार प्राप्‍त है। हालांकि चुनाव लड़ने के लिए उस व्‍यक्ति का वोटर के रूप में देश के किसी भी हिस्‍से में पंजीकृत होना आवश्‍यक है। दिल्‍ली में पंजीकृत वोटर चेन्नई से चुनाव लड़ सकता है। इसी तरह से असम का कोई वोटर गुजरात से चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है।


सजा पाए शख्स को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं


भारतीय जनप्रतिनिधित्‍व कानून के सेक्‍शन 8 (3) के मुताबिक दो साल या उससे अधिक सजा पाए व्‍यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। अगर ऐसा व्‍यक्ति नामांकन दाखिल करता है तो उसे अयोग्‍य घोषित कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक दोषी ठहराए जाने के बाद अगर किसी प्रत्‍याशी की अपील लंबित है तो भी उस उम्‍मीदवार को अयोग्‍य ठहरा दिया जाएगा। कोई भी व्‍यक्ति दो सीटों से अधिक पर चुनाव नहीं लड़ सकता है।



कितनी है जमानत राशि


जनप्रतिनिधित्‍व कानून के मुताबिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्‍याशी को नामांकन के दौरान 25 हजार रुपये जमानत राशि जमा करनी होती है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रत्‍याशियों को इसमें छूट दी गई है। एससी और एसटी प्रत्‍याशियों को मात्र 12,500 रुपये जमानत राशि जमा करनी होती है। विधानसभा चुनाव में यह जमानत राशि सामान्‍य प्रत्‍याशियों के लिए 10 हजार रुपये और एससी-एसटी के लिए 5 हजार रुपये है।


कैसे जब्‍त होती है जमानत राशि


चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक अगर कोई हारा हुआ प्रत्‍याशी उस लोकसभा सीट पर कुल पड़े वैध वोटों का 1/6 (16.6%) हिस्‍सा पाने में असफल रहता है तो उसकी जमानत राशि जब्‍त करके राजकोष में डाल दी जाएगी। प्रत्‍याशियों के जमानत जब्‍त होने का सिलसिला पहले लोकसभा चुनाव से जारी है। 1951-52 के आम चुनाव में 1874 प्रत्‍याशियों में से 745 (40) की जमानत जब्‍त हो गई थी। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में 91 प्रतिशत प्रत्‍याशियों की जमानत जब्‍त हो गई थी। पहले आम चुनाव में नेशनल पार्टियों के 28 फीसदी प्रत्‍याशियों ने अपनी जमानत राशि गंवा दी थी।


मोदी लहर में 85 फीसदी की जमानत जब्‍त


वर्ष 2014 में मोदी लहर में 8748 प्रत्‍याशियों में से 7502 कैंडिडेट अपनी सीट पर 16.6% मत हासिल करने में असफल रहे और उनकी जमानत राशि जब्‍त हो गई थी। छह लोकसभा सीटों त्रिपुरा ईस्‍ट और वेस्‍ट, गाजियाबाद, सतारा, छतरा, फरीदाबाद में केवल जीतने वाले प्रत्‍याशी की जमानत बच पाई थी। 372 सीटों पर केवल जीतने वाले और दूसरे नंबर पर रहे उम्‍मीदवार की जमानत बच सकी थी। मोदी लहर के बाद भी 62 लोकसभा सीटों पर बीजेपी प्रत्‍याशियों की जमानत जब्‍त हो गई थी। वहीं कांग्रेस के प्रत्‍याशी 179 सीटों पर अपनी जमानत नहीं बचा सके थे।



कई नेताओं की जब्त हो गई थी जमानत


2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्‍यादा जमानत राशि का नुकसान बीएसपी को हुआ था। बीएसपी ने 501 सीटों पर प्रत्‍याशी उतारे थे और 445 सीटों पर उसकी जमानत जब्‍त हो गई थी। मोदी लहर में कांग्रेस के जिन बड़े नेताओं की जमानत राशि जब्‍त हो गई उनमें कार्ति चिदंबरम, मणिशंकर अय्यर, राजबब्‍बर, नगमा, मोहम्‍मद कैफ, सलमान खुर्शीद, जितिन प्रसाद और बेनी प्रसाद वर्मा शामिल हैं। राजधानी दिल्‍ली की सातों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्‍याशियों की जमानत जब्‍त हो गई। उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के 78 प्रत्‍याशियों में 57 की जमानत जब्‍त हो गई थी।